आर्त्त वन्दना

माँ शारदे.... माँ सरस्वती....
शुभ्र शुद्ध हे ध्वजा सत्त्व की
कर में वीणा, पुस्तक, माला
श्वेत पद्म अरु श्वेत मराला
मात शारदे....

करुणा पूरित नयन मनोहर
शीतल पावन आभा तमहर
पावनता की मानक हो तुम
मानवता की पालक हो तुम
मात शारदे....

कला-निहित सौन्दर्य तुम्हीं हो
शब्द-नाद माधुर्य तुम्हीं हो
ज्ञान-राशि सब तुमसे निःसृत
तुमसे ही है संस्कृति संस्कृत
मात शारदे....

हम हैं शिशु नादान तुम्हारे
अल्पबुद्धि हैं, अहं के मारे
मति को निर्मल कर दो माता
उर में आन विराजो माता
मात शारदे....

अपनी गोदी में तुम ले लो
कर्म-धर्म से 'मुक्ति' दे दो
शब्द नहीं, भावों को समझो
शिशु-क्रन्दन को अब तो सुन लो
मात शारदे....

रचनाकार
प्रशान्त अग्रवाल
सहायक अध्यापक
प्राथमिक विद्यालय डहिया
विकास क्षेत्र फतेहगंज पश्चिमी
ज़िला बरेली (उ.प्र.)

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