रंगों की दुनिया निराली


मैं नीला -नीला खुला आसमान
पानी सागर का मेरे समान
इन मोरों के पंख हैं नीले
ये जो नाचे तो दिल को छूँ लें
आओ झूमें आओ नाचें
गाएँ मस्ती भरे हम तराने🎻

नहीं हम भी किसी से कोई कम
हम में भी हैं इतना दम
पके आम -केले पीले-पीले
सब्जियों में नींबू रसीले
आओ झूमें......

हरे -हरे पत्तों में गुँथी मैं
मोतियों की लड़ी हूँ
हम पालक हरे हम घास हरे
हम पेड़ों के पत्ते हरे
आओ झूमें....

मैं फूल गुलाब का शानदार
सेब चेरी संग मैं लाल-लाल
इनके चोंच  पर देखो फुन्सी
कहते सब इनको मुंशी
आओ झूमें....

न न करते रंग ही गया मैं
नारंगी रंग में कद्दू
संतरे और गेंदें संग देखो
बन गया मैं सबका दद्दू
कद्दू दद्दू हाँ दद्दू कद्दू
आओ झूमें.....

छुकछुक चलती देखो रेल
रेल सिखाती करना मेल
कुछ रंग जो मिल जाएँ तो
इन्द्रधनुष का देखो खेल
बैंगनी, जामुनी..हरा नीला
लाल नारंगी.... पीला
रंगों की दुनिया निराली
धरती लगती प्यारी -प्यारी
रंग बिन है जीवन बेरंग
रंग ही भरते हैं उमंग
आओ झूमें....

रचयिता
सारिका रस्तोगी,
सहायक अध्यापिका,
पूर्व माध्यमिक विद्यालय फुलवरिया,
जंगल कौड़िया,
गोरखपुर |

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