कपिलवस्तु सेमिनार

मिशन शिक्षण संवाद की पहली आधिकारिक कार्यशाला के आयोजन पर हफ़्तों चले विचार विमर्श के बाद बस्ती के सर्वेष्ठ मिश्र जी ने bsa सिद्धार्थ नगर द्वारा कपिलवस्तु महोत्सव में इसे शामिल कर कराए जाने की जानकारी दी ।मिशन द्वारा इस पर सहमति दी गयी लेकिन सरकारी व्यवस्था की स्थिति पर संदेह के दृष्टिगत मिशन के सिपाहियों द्वारा बैकअप प्लान साथ लेकर चलने की बात तय की गई।
कार्यक्रम हेतु निर्धारित तिथि 29 व 30 दिसम्बर 2017 में शामिल होने के लिए हम 28 की दोपहर ही अपनी टीम के साथ पूरब दर्शन व बेसिक शिक्षा के उत्थान हेतु जलाई गई मिशन की लौ को मशाल बनाने की तमन्ना लिए मिशन के सिपाहियों से मिलने का उल्लास मन मे संजोए निकल पड़े।
रास्ते की दुश्वारियों व घने कोहरे को चीरते हुए गूगल बाबा की मदद से हम जब सिद्धार्थ नगर के नौगढ़ में प्रवेश किये तो सर्वेष्ठ भाई को फोन कर विश्राम स्थल सिद्धार्थ नगर पब्लिक स्कूल की लोकेसन जाननी चाही ,इसपर सर्वेष्ठ भाई ने कहा आप जिस रास्ते से आ रहे है आते रहिये आगे तिराहे पर हमारे अध्यापक आपके मार्गदर्शन के लिए खड़े रहेंगे।रात 12 बजे की कड़कड़ाती ठंड व घने कुहरे में बाइक पर खड़े अध्यापक मित्र को देखा तो उनके चेहरे पर ठंड की जगह खुशी का भाव देखकर सिद्धार्थ नगर की मेहमाननवाजी के भी दर्शन हो गए और हमारा बैकअप प्लान वही धरा राह गया।
विश्राम स्थल पर पहुँचे तो पाया कि कई साथी हमसे पहले वहां पहुच गए थे।पहुँचते ही टीम सिद्धार्थ नगर ने हमसे भोजन कर विश्राम करने का आग्रह किया।भोजन के बाद हम आराम करने निर्धारित कमरे में पहुँचे जहां गद्दे व रजाई की पर्याप्त व्यवस्था देखकर मन मे रहा सहा जाड़ा भी जाता रहा।
रात्रि विश्राम के पश्चात सुबह बेहतर व्यावस्था में स्नान आदि से निवृत्त हुए ही थे कि व्यवस्थापकों द्वारा नाश्ता तैयार होने की बात कही गयी। नाश्ते के बाद हम  सेमिनार स्थल लोहिया कला भवन की ओर पहले से सुसज्जित बस द्वारा निकल गए।
लोहिया कला भवन जो 1000 व्यक्तियों के बैठने के लिए तैयार किया गया थियेटरनुमा भवन था जहां सुंदर तरीके से सजाया गया स्टेज व बैठने हेतु बेहतरीन व्यवस्था थी।
कार्यक्रम की शुरुआत आदरणीय जिला बेसिक शिक्षाधिकारी व डायट प्राचार्य के साथ उपस्थित अतिथियों विधायक शोहरतगढ़ श्री अमरसिंह चौधरी व विधायक इटवा श्री सतीश द्विवेदी जी  द्वारा सरस्वती पूजन से हुई ।जो स्वयं एक शिक्षक रहे है और विधायक बनने के बाद भी आज अपना वेतन शिक्षक के रूप में लेते है न कि विधायक के रूप में।
विधायक इटवा श्री सतीश चंद्र द्विवेदी द्वारा प्राथमिक शिक्षा की गुणवत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा गया कि "प्राथमिक शिक्षा किसी देश की रीढ़ होती है पर बेसिक शिक्षा को अपने यहां रीढ़ नही समझा गया।"उन्होंने कहा कि "कच्ची मिट्टी का घड़ा बनाना बेहद कठिन कार्य है जबकि उसमे 4 फूल सजा देना बेहद आसान,और आप कच्ची मिट्टी का घड़ा बनाते है जबकि उच्च कक्षाओं के शिक्षक उस घड़े में फूल सजाते है ।" इसके साथ ही आप द्वारा इन्नोवेशन की विस्तृत व्याख्या कर अध्यापक के कर्तव्यों पर प्रकाश डाला गया।
इसके पश्चात  प्रदेश के 75 जनपदों से आये 162 प्रतिभागियों द्वारा पाने स्कूल में किये  गए अभिनव प्रयासों व उस प्रयास के फलस्वरूप विद्यालय व बच्चो में विकसित हुई उपलब्धियों का पीपीटी के माध्यम से प्रस्तुतिकरण प्रारम्भ हुआ ।
लखनऊ से चलने में हो रही देर के कारण विलम्ब होने की दशा में कार्यक्रम के मुख्य अतिथि कैबिनेट मंत्री श्री राजकुमार जयप्रताप जी द्वारा bsa सर से कहकर कार्यक्रम शुरू करा दिया गया था, का आगमन हुआ ।मुख्य अतिथि के सम्मान के बाद कार्यक्रम आगे बढ़ा व कई अन्य अध्यापको द्वारा अपने विशेष प्रयास व उसके परिणामो को वहां उपस्थित 162 अन्य जनपदों से आये अध्यापको के अलावा मौजूद लगभग 1000 अध्यापको के बीच साझा किया गया।तब तक कला भवन की गैलरी  प्रतिभागी मित्रो के tlm से पट चुकी थी जिसमे चित्रकूट के tlm सम्राट राजकुमार जी के tlm सर्वाधिक थे।ततपश्चात मंत्री महोदय का सम्बोधन प्रारंभ हुआ जिसमें उन्होंने कहा कि अभी आते हुए गैलरी में लगाये गए tlm को देखा ऐसा आयोजन राजधानी में भी होना चाहिए पर इसमें राजकुमार जी का tlm ही हर जगह दिखाई दिया। "शैक्षणिक गुणवत्ता बढ़ाये जाने हेतु मिशन शिक्षण संवाद का यह प्रयास सराहनीय है साथ ही इसे और भी प्रचारित व प्रसारित करने की आवश्यकता है जिसके लिए उन्होंने पोर्टल बनाये जाने का प्रस्ताव रखा।"
आयोजन की रूपरेखा पर संक्षिप्त प्रकाश डालते हुए जिलाधिकारी श्री शिल्कू द्वारा कहा गया कि " यदि आप सबकी सहमति होगी तो nic से पोर्टल बनवा दिया जाएगा।
समयाभाव के कारण मंत्री जी चले गए तभी किसी द्वारा उद्घोषणा कर दी गयी कि आज की कार्यशाला यही स्थगित की जाती है अतः स्थानीय अघ्यापक जाने लगे,इसपर मिशन के सिपाहियों ने तय किया कि इतनी दूर से हम जिस उद्देश्य से आये है वह पूरा किये बिना नही जाएंगे चूँकि 162 में से अधिकांश अध्यापको का प्रस्तुतीकरण बाकी था अतः हम सबने  रुकने का निर्णय लिया और संयोजक सर्वेष्ठ भाई द्वारा पुनः घोषणा की गई कि कार्यशाला जारी रहेगी।तभी आदरणीय bsa सर का पुनः आगमन हुआ और कार्यशाला पुनः शुरू हुई । एक बार स्थगन के कारण कार्यशाला रवानगी नही पकड़ पा रही थी इसी बीच भदोही के एडमिन संतोष भाई द्वारा ओजस्वीपूर्ण वक्तव्य के माध्यम से जनपद में मिशन द्वारा किये गए प्रयासों आयोजित कार्यशालाओं व उनके परिणाम पर प्रकाश डाला गया जिससे एक बार पुनः नवीन ऊर्जा का संचार हुआ व कार्यशाला एक बार फिर अपनी रवानगी पर चल पड़ी।लोगो द्वारा अपने प्रयासों व उपलब्धियों की चर्चा के बीच कब 7 बजे की समय सीमा पार हो गयी पता ही नही चला। प्रेरणाश्रोत विमल भाई के निर्देश पर दिन भर के कार्यक्रम की समरी प्रस्तुत करने का मौका मुझे मिला जिसे समयाभाव के चलते जितना संक्षिप्त में हो सका किया गया।तब तक मौजूद परिवर्तन के अग्रदूत जोश व उत्साह से लबालब भर चुके थे।पहली बार ऐसा आयोजन देखा जहां  स्थगन के बाद भी लोग न जाने की जिद पर अड़े थे,यह मिशन के  प्रति समर्पण व बेसिक की दशा व दिशा बदलने की जद्दोजहद ही थी जो उन्हें रोके रखी,इसी के साथ अगले दिवस की सुबह के 9 बजे शीघ आये की कामना के साथ कार्यक्रम  स्थागित हुआ।
हम पुनः बस से विश्राम  स्थल की ओर रवाना हुए पर सभी के चेहरे पर दिन भर की थकावट नही बल्कि अगली सुबह के  इंतजार की बेसब्री दिख रही थी।
शाम को हम वापस विश्राम स्थल पहुँचे जहां एक वर्ष से मिशन में साथ चल रहे मित्रो से मुलाकात का सिलसिला चला जो सेल्फी से लेकर ग्रुप फोटो के रूप में तब्दील होता रहा। इसके बाद भोजन लेकर हम अपने विश्राम कक्ष में पहुँचे जहां कुछ मित्रो द्वारा कुछ प्रेरक व मनोरंजक गीत प्रस्तुत किये जा रहे थे।जिसमें चित्रकूट से राजकुमार जी ,जौनपुर से शिवम जी , भदोही से संतोष जी ,आशीष जी, आदि प्रतिभाग कर रहे थे।10: 30 पर मैने संतोष जी से कहा कि अब बन्द करवाइए सोना है तो उनका जवाब आया चित्रकूट वाले भाई आज सुबह 4 बजे से ही उठकर बात करना शुरू कर दिए थे अतः हम सब सो नही पाये,अतः आज इन्हें 12 बजे के पहले नही सोने देना है ।इस प्रकार महफ़िल 12 बजे तक चली और सच मे सभी प्रतिभागी 6 बजे उठे। इस नए दिवस में हम सब एक बार पुनः स्नान आदि करके तैयार हो गए भदोही के 3 साथी 6 बजे तक स्नान आदि करके तैयार हो चुके थे अतः यह तय किया गया कि कल हमारा tlm नही लग पाया था।हो सकता है आज भी जगह न मिले इसलिए वे तीनों 8 बजे ही कला भवन tlm लेकर निकल गए,पर इत्ती सुबह वहां ताला बंद था जैसे ही ताला खुला tlm मेज भदोही के tlm से सज गयी। द्वितीय दिवस के कार्यक्रम में निर्धारित समय पर अवशेष प्रतिभागियों के प्रस्तुतीकरण प्रारम्भ हुआ और तय अवधि में सबका प्रस्तुतीकरण पूर्ण हुआ सबसे कम समय टेक्निकल टीम को ही मिला पर सब  बहुत खुश थे कि इतनी बड़ी संख्या मेंप्रतिभागियों के होते हुए भी सबको मौका मिल सका। अंत मे मिशन के प्रेरणास्रोत विमल भाई का उदबोधन हुआ।इसी बीच विधायक राघवेंद्र सिंह व श्यामवीर जी के साथ सांसद जगदम्बिका पाल जी भी आ चुके थे।आप द्वारा सेमिनार की उपयोगिता के बारे में बताते हुए कहा  कि " कपिलवस्तु महोत्सव के सभी कार्यक्रमो में यह सर्वोत्कृष्ट कार्यक्रम है और राज्य व केंद्र सरकार से ऐसे कार्यक्रम कराए जाते रहने का प्रस्ताव किया जाएगा।"
सांसद जगदम्बिका पाल जी ने कहा कि आज कपिलवस्तु की धरती ने पूरे प्रदेश को एक सकारात्मक व स्वस्थ परंपरा का संदेश दिया है।"
आभार ज्ञापन में  जिला बेसिक शिक्षाधिकारी आदरणीय श्री मनीराम सिंह जी ने कहा कि " सभी नवाचारी शिक्षकों को देखा व सुना आप सभी का नवाचार जनपद के शिक्षकों के लिए मील का पत्थर साबित होगा आपसे प्रेरणा लेकर यहां के शिक्षक नवाचारियो का अनुसरण करते हुए अपनी शैक्षिक गुणवत्ता व भौतिक परिवेश सुधारते हुए प्रतिस्पर्धा कर सकेंगे।"
इसके बाद सभी प्रतिभागियों को सांसद जी के हाथों  मंच पर प्रमाणपत्र व स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित करने का सिलसिला शुरु हुआ इस अवसर पर सहायक निदेशक श्री sp त्रिपाठी जी भी मौजूद रहे। जिसका समापन बहुत ही शानदार अंदाज में हुआ।
इसके बाद  162 में से 17 नवाचारियो को कपिलवस्तु महोत्सव के मुख्य मंच पर अपना पीपीटी पुनः प्रस्तुत करने हेतु ले जाया गया ,जिसमें जनपद भदोही से डॉ मानिक चंद्र पाल को भी मौका मिला।सभी 17 की ग्रुप फोटो हमारे प्रेरणास्रोत विमल भाई व अधिकारियों के साथ मुख्य मंच पर हुआ ।सभी साथी विश्राम स्थल की ओर वापस लौटे जहां कुछ को रुककर सुबह जाना था कुछ को रात में ही, तभी सर्वेष्ठ भाई ने बताया कि bsa सर आप सबसे मिलने वापस आ रहे है अतः आप सभी कुछ देर रुकें।उपस्थित सभी साथी खुशी खुशी सहमत हुए आदरणीय सर के आने पर कार्यक्रम आयोजन से लेकर परिणाम तक पर लंबी चर्चा हुई आप द्वारा पर्दे के पीछे से मेहनत कर रहे स्टाफ dc व इंटीरेन्ट टीचर्स से परिचय करवाया गया। साथ ही जिन्हें रात 11 बजे व 5 बजे की ट्रेन थी, को स्टेशन छोड़ने की हिदायत देकर हम सबसे विदा ली। तब तक खाना तैयार होकर ठंडा  होने से बचाने के लिए अविलम्ब भोजन करने हेतु आमंत्रित किया गया।
भोजन के बाद हम सभी साथी सुबह  एक अत्यंत सफल व बेसिक शिक्षा के लिए मील का पत्थर साबित होने वाले आयोजन की याद व अपने जनपदों में इसके विस्तार की दृढ़ इच्छाशक्ति मन मे लिए व भगवान बुद्ध को नमन करते हुए अपने गन्तव्य को रवाना हुए।
शिक्षा का उत्थान, शिक्षक का सम्मान।
मिशन शिक्षण संवाद।

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