मधुशाला नायक

बच्चन जी की पुण्यतिथि पर सादर-

सो गए तुम मधुशाला नायक
कहीं खो गई मधुशाला!
काव्य-जगत स्तब्ध सोंचकर
कहाँ मिलेगी वह हाला!
"क्या भूलूँ क्या याद करूँ"अब
खाली कविता का प्याला!
युगों- युगों तक अमर रहेगी,
कवि तुम्हारी मधुशाला!!
आज याद में पुनः तुम्हारी
बिलख रही है "मधुबाला"!
कांप उठी है पुनः लेखनी
शब्दों में जागी ज्वाला!
तुम सा अब न कोई आएगा
कैसा दिन आया काला!
युगों-युगों तक अमर रहेगी
कवि तुम्हारी मधुशाला!!


रचयिता
डॉ0 श्वेता सिंह गौर
सहायक शिक्षिका 
कन्या जूनियर हाई स्कूल बावन,
हरदोई।

Comments

Post a Comment

Total Pageviews