राजेन्द्र नाथ लाहिड़ी

"मैं मरने नहीं जान लेने जा रहा हूँ"

ऐसा था, उनका गरिमामयी उद्घोष।

फाँसी के फंदे को, चूम लिया था जिसने, 

आजादी के हवन में आहुति का था जोश।।


काकोरी ट्रेन लूट काण्ड के, वह नायक थे, 

अमर शहीद राजेंद्र नाथ लाहिड़ी था नाम।

17 दिसम्बर 1927 को फाँसी निर्धारित हुई,

गोंडा जेल में 2 दिन पूर्व दिया गया अंजाम।।


29 जून 1901 को, बंगाल प्रेसिडेंट में,

पावना जिले में राजेंद्र नाथ जी थे जन्मे। 

माता उनकी थीं,  वसंत कुमारी जी 

पिताजी क्षितिज मोहन लाहिड़ी के घर में।।


हिन्दुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन के,

सक्रिय सदस्य थे राजेंद्र नाथ लाहिड़ी।

बीएचयू के इतिहास विभाग के छात्र थे,

क्रान्तिकारी गतिविधियों में सक्रिय थे लाहीड़ी।। 


प्रतिवर्ष 17 दिसम्बर को, भारत में,

'बलिदान दिवस' रुप में मनाया जाता है।

उस वीर क्रान्तिवीर के शहादत को,

पुण्यतिथि पर नमन किया जाता है।।


रचयिता

वन्दना यादव "गज़ल"
सहायक अध्यापक,

अभिनव प्रा० वि० चन्दवक,

विकास खण्ड-डोभी, 
जनपद-जौनपुर।

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