डॉ० भीमराव अंबेडकर
हे भारत रत्न! हे विश्वरत्न!!
हे! संविधान निर्माता तुम
हे ज्ञान दीप हे अमर प्रदीप
हे भारतभाग्य विधाता तुम।
देखो जयकारा गूँज रहा
शहर-शहर व गाँव-गाँव
सब कर रहे हैं तेरा वन्दन
हे बोधिसत्व हे भीमराव
हे मानवता के अग्रदूत
हे नवयुग के निर्माता तुम।
हे युग नायक परम् पूज्य
हे कर्म श्रेष्ठ दर्शन विज्ञ
हे देवरूप हे शिल्पकार
ये तेरी महिमा है अपार
कृतज्ञ राष्ट्र करता प्रणाम
दुखियों के पालनकर्ता तुम।
हे जातिवाद के उन्मूलक
शोषित वंचित के उद्धारक
हे समता के पक्षधर तुम
समाज व्यवस्था निर्णायक
युग-युग तक तुम अमर रहे
हे भारत के स्वप्नद्रष्टा तुम।
रचयिता
डॉ० प्रभुनाथ गुप्त 'विवश',
सहायक अध्यापक,
पूर्व माध्यमिक विद्यालय बेलवा खुर्द,
विकास खण्ड-लक्ष्मीपुर,
जनपद-महराजगंज।
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