राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस

मानवीय अस्तित्व को है खतरा,

पर्यावरण प्रदूषण से जूझना जरा। 

पर्यावरणीय समस्याएँ उत्पन्न हो रहीं,

लोगों की साँसें जिससे कम हो रहीं।।


जल, थल, वायु में खुल रहे हैं जहर 

अस्तित्व संकट को बरसा रहे हैं कहार।

पारिस्थितिकी तंत्र पर पड़ रहा है प्रभाव,

कंक्रीट के जंगल, गाँव बना रहे हैं शहर।।


औद्योगिक गतिविधि, रसायनों का प्रयोग,

संसाधनों का अंधाधुंध दोहन, उपयोग।

अत्यधिक प्रदूषण है, इससे फैलाता,

औद्योगिकरण का हो रहा है दुरुपयोग।।


भोपाल गैस त्रासदी 1984 में,

जान गँवाने वालों की याद में मनाते हैं।

प्रतिवर्ष  2 दिसम्बर को, भारत में,

राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस मनाते हैं।।


रचयिता

वन्दना यादव "गज़ल"
सहायक अध्यापक,

अभिनव प्रा० वि० चन्दवक,

विकास खण्ड-डोभी, 
जनपद-जौनपुर।

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