गुरुवर को शत-शत प्रणाम
ईश्वर से भी ऊपर है जिनका स्थान,
ऐसे गुरुवर को शत-शत प्रणाम।
कच्ची मिट्टी के समान होता जिसका आकार,
गुरु देते उसको रूप साकार।।
ज्ञान रूपी प्रकाश से जगमग करते उसका संसार,
जिससे उसका जीवन होता साकार।
अब तक जो जीवन बीत रहा था व्यर्थ,
गुरु दे देते हैं उसको एक अर्थ।।
शिक्षा का सागर रुपी होते भंडार,
अपने शिष्य को देते जीवन का आधार।
गुरु बिन ना होता है कुछ संभव,
गुरु असंभव को भी कर देते संभव।।
रचयिता
ब्रजेश सिंह,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय बीठना,
विकास खण्ड-लोधा,
जनपद-अलीगढ़।
Comments
Post a Comment