नटखट चूहा

वह देखो वह काला चूहा,

दौड़ लगाता सरपट-सरपट।


दिन भर ऊधम मचाता है,

सबकुछ काटे कटकट-कटकट।


इधर-उधर बस उछले-कूदे,

शोर मचाता खटपट-खटपट।


घर का सारा राशन पानी,

खा जाता है चटपट-चटपट।


कितना भी कोशिश कर लो पर,

हाथ न आए नटखट-नटखट।


बिल्ली मौसी जो आएँ पकड़ने,

छुप जाता है झटपट-झटपट।


रचयिता

जाग्रति सक्सेना,

सहायक अध्यापक,

प्राथमिक विद्यालय देवी,

विकास खण्ड-आलमपुर जाफराबाद,

जनपद-बरेली।



Comments

Total Pageviews