श्रीराम

है तुम्हीं से ब्रह्मांड, 

तुम ही सत्य का श्रृंगार, 

है तुमसे ही सत्य जीवित

सँभाले सृष्टि का भार। 


सहनशीलता, करुणा, दया, धैर्य, धर्म, 

हो रहे तुम्हीं से सुशोभित सब, 

बनकर सबकी ढाल, 

पकड़े हो सबका हाथ। 


ऐसे सत्य प्रकाश को, 

शक्ति भी करती नमन, 

जो इंसानों का नहीं, 

उनके अवगुणों का करते दमन। 


ओम् राम रामाय नमः श्री सीताय नमः,

ही हैं जीवन का आधार

होता जीवन संचित इन्हीं से

है इन्हीं के प्रकाश का वास। 


मेरे राम, मेरे राम, मेरे राम

हो सोच में मेरे राम, 

जीवन बन जाए अयोध्या धाम, 

चरण वंदन मेरे राम।।


रचयिता
अर्चना गुप्ता,
प्रभारी अध्यापिका, 
पूर्व माध्यमिक विद्यालय सिजौरा,
विकास खण्ड-बंगरा,
जिला-झाँसी।

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