आनंद

औरत की जिंदगी में कब-कब आते हैं? 

आनंद के वो चार पल .......

तन्हाई में अक्सर मुझे बहुत याद आते हैं।।

आनंद के वो चार पल.........

निपटा के सब काम सदन के, 

पहुँचीजब विद्यालय में।

खुश कर देता बाल क्रंदन, 

विद्या के उस आलय में।

बच्चों की मासूम हँसी में ही तो मुस्काते हैं

आनंद के वो चार पल.........

खेल-खेलते शिशुओं में ही तो मिल जाते हैं।।

आनंद के वो चार पल.....,

पढ़के-पढ़ाके, समझा-के, 

पहुँचीजब मैं अपने घर।

सोते मिलते अपने बच्चे 

माँ का इंतजार कर-कर।

माँ को देखके, उठकर मुझसे लिपट जाते हैं। 

आनंद के वो चार पल.......

इतनी देर लगाई .........प्रश्न पूछे जाते हैं।।

आनंद के वो चार पल.......

इसको खाना, उसको कपड़े, 

सासू माँ की दवाई।

घर-बाहर के बीच झूलती, 

बीते अपनी तरुणाई।

दूजों को खुशियाँ देने में ही, पा जाते हैं।

आनंद के वो चार पल.... 

याद नहीं कब आते और कब चले जाते हैं।।

आनंद के वो चार पल..... 

औरत की जिंदगी में कब- कब आते हैं।

आनंद के वो चार पल...... 

तन्हाई में अक्सर मुझको बहुत याद आते हैं।

आनंद के वो चार  पल.....


रचयिता

पूनम गुप्ता,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय धनीपुर,
विकास खण्ड-धनीपुर,
जनपद-अलीगढ़।


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