जगत जननी पालन हारी

हे माँ दुर्गे, जगत जननी अम्बे

दुख  हरणी,  सुख  करणी।

हे  जगदम्ब,  भवानी  अम्बे,

तेरी जय-जयकार माता रानी।


सब अज्ञानी और पापियों को

सद्बुध्दि और सुविचार दे माँ।

दुष्ट   और  दानवों  के  मन,

दया -धर्म  का भाव   दे  माँ।


करें  हम सब  तेरी  वंदना

ऐसी सबमें भक्ति दे माँ।

सरल  हृदय  हों सब हम

ऐसा सब का प्रण हो माँ।


तेरी भक्ति में हो इतनी शक्ति

सबको नया जीवन मिले माँ।

राग -द्वेष  को  छोड़कर

मन की शुद्धि, सभी की हो माँ।


सागर  है तू  जग की

तू  ही   किनारा है  माँ।

 नैया  है तू   जीवन  की,

 तू   ही   खिवैया  है  माँ ।


तेरा  सहारा  सभी  को

बिन  तेरे  बेसहारा  हैं माँ।

कृपा  दृष्टि  बनाये  रखना,

अपने चरणों मे समाये रख माँ।


सब  घर उजियाला  चमके

ऐसी  तेरी कृपा दृष्टि हो माँ।

हर हर नारी करें तेरा गुणगान 

सबकी  ऐसी  मति  हो  माँ।


तेरे  द्वारे  जो भी  आये,

सारे  कष्ट उसके  हर दो माँ।

जीवन  पथ पर आगे बढ़ें,

ऐसा  सबको  वर दो  माँ।


निराशा के भवसागर डूबे जो,

आशा की नवल ज्योत दो माँ।

इस नवरात्रे, पावन पर्व  पर,

सबके बिगड़े काम बना दो माँ।


जग पर आयी भारी मुसीबत,

महामारी  को  दूर  करो  माँ।

सभी  स्वस्थ और दीर्घायु  रहें,

ऐसा कुछ चमत्कार करो  माँ।


रचयिता

सन्नू नेगी,

सहायक अध्यापक,
राजकीय कन्या उच्च प्राथमिक विद्यालय सिदोली,
विकास खण्ड-कर्णप्रयाग, 
जनपद-चमोली,
उत्तराखण्ड।



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