झाँसी की रानी

हुई धन्य धरा

जब जन्म लिया मनु ने, 

बनकर शक्ति स्वरूपा

बस गई सब की धड़कनों में। 


मनु बाई छबीली 

बनीं जब रानी झाँसी की

छुड़ाकर छक्के अंग्रेजों के

कर गईं नाम झाँसी, झाँसी वालों की। 


देश के लिए मर मिटना ही

उनका श्रेष्ठ कर्म था, 

बस हर पल झाँसी हमारी है

इसको ही सच करना था। 


चेहरे पर तेज, आधारों पर मुस्कान

होकर अश्व पर सवार, 

लेकर हाथ में तलवार, 

लड़ती रही साँसों के अंतिम क्षण तक। 


पाकर वीरगति को, 

हो गई बलिदान देश पर, 

शत शत नमन,  कोटि-कोटि नमन

ऐसी वीर महारानी लक्ष्मी बाई को।।


रचयिता
अर्चना गुप्ता,
प्रभारी अध्यापिका, 
पूर्व माध्यमिक विद्यालय सिजौरा,
विकास खण्ड-बंगरा,
जिला-झाँसी।

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