212/2024, बाल कहानी - 22 नवम्बर


बाल कहानी - मीनू और बीनू
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मीनू और बीनू घर पर पढ़ाई कर रही थी। बीनू ने मीनू से एक प्रश्न पूछा, "ये बताओ, ये क्या लिखा है?"
बीनू ने बहुत गुस्से में कहा, "मुझे नहीं पता, ये क्या लिखा है? मैं तुम्हारी टीचर नही हूँ।"
जब मीनू और बीनू आपस में झगड़ने लगी। माँ रसोई घर से जल्दी से दौड़ कर आयी और आते ही बोली, "अरे! क्या हुआ, क्यों लड़ रही हो? अभी तो मैं देख कर गयी थी, तुम आपस में बैठकर पढ़ाई कर रही थी। मैं रसोई घर में तुम दोनों की पसन्द का भोजन बना रही हूँ।"
दोनों ने माँ को पूरी बात बतायी। माँ ने बीनू को समझाते हुए कहा, "बेटा! मीनू तुम से बड़ी है। वह तुम्हारी दीदी है। दीदी से ऊँची आवाज में बात नहीं करते।"
फिर माँ ने मीनू को समझाया, "बीनू छोटी है। तुम उसे प्यार से समझाया करो। डाँटा न करो और अगर फिर भी न समझे तो मुझसे आकर कहो।
छोटी-छोटी बात पर गुस्सा होना सही नहीं है। समस्या का हल लड़ाई नहीं बल्कि धैर्य और समझदारी है। तुम दोनों मेरी प्यारी बेटियाँ हो। अब ऐसी गलती दोबारा मत करना?"
दोनों बच्चियों को माँ की बात समझ आ गयी। मीनू और बीनू ने एक दूसरे से माफी माँगी। माँ से भी माफ़ी माँगी और कहा कि, "अब वे कभी गुस्सा, बहस, लड़ाई नहीं करेगी। हर बात पहले माँ को बतायेगी।"
माँ ने दोनों बच्चियों को गले लगा लिया। पुनः दोनों को पढ़ाई करने को कहा और स्वयं भोजन बनाने रसोई घर चली गयी। कुछ देर बाद स्वादिष्ट भोजन लेकर माँ आयी और बोली, "आओ, हम सब साथ में भोजन करते हैं।" मीनू और बीनू पसंदीदा भोजन की महक से ही खुश हो गयीं। फिर सबने मिलकर भोजन किया।

#संस्कार_सन्देश - 
गुस्सा किसी भी समस्या का समाधान नहीं हो सकता। हमें हर हाल में धैर्य रखना चाहिए।

कहानीकार-
#शमा_परवीन 
बहराइच (उत्तर प्रदेश)

✏️संकलन 
📝टीम #मिशन_शिक्षण_संवाद
#दैनिक_नैतिक_प्रभात

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