218/2024, बाल कहानी- 29 नवम्बर


बाल कहानी - किस्मत का खेल
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रामू एक गरीब किसान था। उसके दो बेटे और दो बेटी थीं। चारों बच्चे गाँव के स्कूल में ही पढ़ने जाते थे। वह चारों बहुत होशियार और चालक भी थे। उनको अपने घर की स्थिति मालूम थी, इसलिए वह जरा-सा भी उधम नहीं मचाते। स्कूल आने के बाद पढ़ने लग जाते और काम में अपने माँ-बाप का हाथ बताते थे। 
एक दिन रामू बड़ा परेशान था क्योंकि उसके पास कुछ भी धन नहीं था। कोई भी उसकी सहायता करने को तैयार भी नहीं था। आज के जमाने में गरीब का सहारा बहुत कम लोग बनते हैं। रामू ने सोचा, "क्यों न खेत में कुछ वह किया जाए, कि फसल अच्छी हो जाये, लेकिन उसके पास इतना पैसा नहीं है कि वह ट्रैक्टर से खेत को जोत ले।" इसलिए उसने अपना पावड़ा उठाया और मिट्टी खोदने लगा। मिट्टी खोदते-खोदते शाम हो गयी। कुछ देर बाद जैसे ही उसने पावड़ा मिट्टी में मारा। उसको कुछ आवाज आयी। उसने फिर दोबारा मारा तो आवाज आयी। उसने जल्दी से देखा तो वहाँ एक घड़ा था। उसने उसको खोलकर देखा तो उसमें सोने के सिक्के थे। रामू ने चारों तरफ देखा, कोई दिखाई नहीं दिया तो उनको अपने घर ले आया। अपनी पत्नी और बच्चों को बुलाकर बताया कि, "अब हमारी परेशानी दूर हो जायेगी। यह हमारे खेत में मिला है।" सभी देखकर बहुत खुश हुए। उसने कहा, "किसी से कहना मत!" तो बच्चों ने भी 'हाँ' कर दी। 
एक दिन बच्चे पड़ोस के बच्चों के साथ खेल रहे थे। उन बच्चों में एक पड़ोसी बच्चा सोनू जो बहुत मालदार था। वह भी खेलता था, लेकिन वह रोज इन सब का मजाक उड़ाता और नयी-नयी चीजें लाकर दिखाता था। रामू के छोटे बेटे को अच्छा यह नहीं लगता था। एक दिन सभी बच्चे खेल रहे थे। सोनू आया और दो रुपये वाले डिब्बे को उठाकर लाया और कहा, कि "मेरे पास बहुत सारे रुपये हैं।" तब रामू का छोटा बेटा घर के अन्दर गया और एक सोने का रुपया लेकर आया और बोला कि, "आपके पास तो लोहे का रुपया है। मेरे पास तो यह पीले रंग का है।" उसको देखकर सब दंग रह गये क्योंकि यह तो सोने का रुपया था। फिर क्या था? सोनू ने सारे गाँव वालों को बुला लिया कि, "रामू काका ने चोरी की है!" तब रामू ने सारी घटना मुखिया जी को बतायी। मुखिया जी ने कहा, "माना कि तुम्हारे खेत में यह घड़ा मिला है, लेकिन आज के जमाने में जमीन से निकला धन सरकार का होता है इसलिए आप इसे पुलिस को दे दें।" रामू बेचारा बहुत सीधा था। उसने कहा, "अभी लाता हूँ।" वह घर के अन्दर गया और घड़ा लाकर मुखिया जी को दे दिया। मुखिया जी ने पुलिस को दे दिया। जब पुलिस थाने पहुँची तो वहाँ के बड़े ऐसो साहब के पूछने पर पुलिस वालों ने सारी बात बतायी। तब ऐसो साहब ने कहा, "यह आप लोगों ने गलत किया है। रामू बेचारा गरीब आदमी है। अपने परिवार का बड़ी मुश्किल से पालन करता है, इसलिए यह वापस देकर आओ, रुको, मैं भी आपके साथ चलता हूँ।" ऐसा कहकर वह रामू के घर पहुँचे। पुलिस वालों को देखकर सभी गाँव वाले आ गये। तब ऐसो साहब ने मुखिया जी के सामने रामू को घड़ा वापस किया और कहा कि, "यह आपकी मेहनत का फल है। आपकी किस्मत में यह धन लिखा है इसलिए इस पर आपका ही हक है।" रामू बहुत खुश हुआ और भगवान को 'धन्यवाद' दिया। यह देखकर सोनू को बहुत शर्मिन्दगी महसूस हुई और उसने रामू से माफी माँगी और कहा, "अंकल! मुझे माफ कर दो। मैं अमीर हूँ इसलिए सभी का मजाक उड़ाता था, लेकिन आज मुझे समझ आ गयी, कि किस्मत कभी भी पलट सकती है।" तब रामू ने सोनू से कहा, "कोई बात नहीं बेटा! तुम मिलकर एक साथ खेलो।" सभी खुश होकर अपने घर चले गये। रामू भी अपने परिवार के साथ खुशी-खुशी रहने लगा। उसने कुछ धन-मुखिया जी को दे दिया और कहा कि, "इस धन से हमारे गाँव में एक स्कूल बनवा दिया जाये और गरीबों की सहायता कर दी जाये, ताकि हमारा गाँव खुशहाली से भरपूर हो जाये।" इतना सुनकर सभी रामू की तारीफ करने लगे। आज रामू और रामू का गाँव खुशहाली से भरपूर है। 

#संस्कार_सन्देश -
इस कहानी से यही सीख मिलती है कि हमें किसी का मजाक नहीं उड़ाना चाहिए क्योंकि किस्मत सभी के साथ चलती है।

कहानीकार-
#पुष्पा_शर्मा (शि०मि०)
राजीपुर, अकराबाद
अलीगढ़ (उ०प्र०)

कहानी वाचन-
#नीलम_भदौरिया (स०अ०)
जनपद- फतेहपुर (उ०प्र०)

✏️संकलन
📝टीम #मिशन_शिक्षण_संवाद 
#दैनिक_नैतिक_प्रभात

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