214/2024, बाल कहानी - 25 नवम्बर
बाल कहानी- नानी और पिंटू
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"आज बहुत दिनों बाद नानी के घर जा रहा हूँ। नानी देखते ही गले से लगा लेगी। खूब आशीर्वाद देगी और खूब खिलायेगी। पिछली बार याद है, नानी ने कचोरी, पकौड़ी, चॉकलेट, बर्फी और बहुत से चीजें दी थी।"
"बेटा! तुम क्या बुदबुदा रहे हो? कहाँ जाओगे? इसके आगे मेरा रिक्शा नहीं जायेगा। रास्ता बहुत खराब है।"
"बाबा! थोड़ा आगे ले चलो मेरी नानी के घर तक। पिछली बार अम्मी-पापा के साथ गाड़ी पर आया था, तब तो नानी के घर तक गया था, आप यही रोक रहे हो.. मैं पैदल कैसे जाऊँगा?"
बाबा चिल्लाते हुए बोले, "ये मेरा रिक्शा है, कोई गाड़ी नहीं है। सोनपुर गाँव तुमने बताया था। यही है सोनपुर गाँव.. अब तुम रिक्शे से उतरो।"
पिंटू रिक्शे से उतर गया और नानी के घर की तरफ तेजी से जाने लगा।
बाबा ने पिंटू को आवाज लगायी, "रुको बेटा! पैसे तो दो.. कहाँ भागे जा रहे हो?"
पिंटू ने बड़ी मासूमियत से जवाब दिया, "बाबा मेरे पास पैसे नहीं है।"
"पैसे नहीं है, तो तुम मेरे रिक्शे पर बैठे क्यूँ?"
"पिछली बार मैं पापा के साथ आया था तो पापा ने पैसे नहीं लिए थे।"
पिंटू की बात सुनकर बाबा ने खूब डाँट लगायी। पिंटू उदास हो गया। उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि क्या हो रहा है? वो नानी के घर की तरफ बढ़ा।
जैसे ही उसने नानी के घर का दरवाजा खटखटाया तो नानी आ गयी। दरवाज़ा खोलते ही पिंटू से पूछताछ करने लगी, "पिंटू तुम यहाँ कैसे और कौन आया है साथ में? क्या तुम अकेले आये हो, ये बस्ता और स्कूल ड्रेस में! क्या तुम स्कूल नहीं गये या स्कूल से भाग आये हो? बोलो पिंटू जवाब दो!"
क्या नानी! आपने गले से लगाये बिना सवाल पूछना जारी कर दिया? मैं आपसे मिलने आया हूँ। मैंने सोचा था कि आप मुझे देखकर खूब खुश होंगी..मुझे खूब दुलार करेंगी, पर आप तो बिल्कुल बदल गयीं।"
"पिंटू तुम अकेले क्यों आये और कैसे आये?"
"मैं क्या करता नानी! आज सुबह ही अम्मी-पापा से कहा कि नानी के यहाँ चलो तो वे बोले, "पहले स्कूल जाओ.. छुट्टियों में चलेंगे।" मुझे खूब डाँट पड़ी। रिक्शे से आया तो बाबा पैसे माँगने लगे। मेरे पास थे ही नहीं तो कैसे देता? रिक्शे वाले बाबा ने भी खूब डाँटा और अब आप भी डाँट रही हो?" इतना कहकर पिंटू रोने लगा।
नानी ने पिंटू को प्यार से समझाया, "बेटा! तुमने गलती की है। हमेशा समय का सदुपयोग करना चाहिए था। ये समय तुम्हारे स्कूल जाने का है। चलो, अभी ज्यादा देर नहीं हुई है। तुम्हें स्कूल छोड़ आती हूँ।" इतना कहकर नानी पिंटू को स्कूल की ओर ले जाने लगी। पिंटू को बहुत बुरा लगा, पर रास्ते में नानी ने स्कूल की अहमियत के बारे में खूब समझाया तो पिंटू को अपनी गलती का एहसास हुआ। वह खुशी-खुशी स्कूल की ओर चल दिया।
#संस्कार_सन्देश-
हमें सबसे पहले नित्य जरुरी दैनिक कार्य पर ध्यान अधिक देना चाहिए।
कहानीकार-
#शमा_परवीन
बहराइच (उत्तर प्रदेश)
कहानी वाचन-
#नीलम_भदौरिया
जनपद-फतेहपुर (उ०प्र०)
✏️संकलन
📝टीम #मिशन_शिक्षण_संवाद
#दैनिक_नैतिक_प्रभात
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