215/2024, बाल कहानी- 26 नवम्बर
बाल कहानी- संगति का असर
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जीतू और राघव दोनों पक्के मित्र थे। दोनों साथ-साथ स्कूल जाते और साथ-साथ ही खेलते थे। जीतू पढ़ने मे बहुत होशियार था। वह हमेशा कक्षा में प्रथम आता था। वहीं राघव पढ़ाई में कमजोर था, लेकिन अब राघव भी जीतू के साथ मिलकर पढ़ाई करने लगा और कक्षा में द्वितीय स्थान प्राप्त करने लगा। समय बीतता गया। यही क्रम चलता रहा। अब दोनों कक्षा आठ में आ गये।
एक दिन राघव ने स्कूल में बच्चों को बातें करते हुए सुना। वे आपस में जीतू की तारीफ कर रहे थे। उनकी बातें सुनकर राघव के मन में ईर्ष्या उत्पन्न हो गयी। अब वह जीतू से दूर रहने लगा और कक्षा के सबसे खराब बच्चों की संगति में आ गया, जिसके कारण उसमें अनेक बुरी आदतें आ गयीं। उधर परीक्षा का समय भी आ गया। सभी ने परीक्षाएँ दीं। जब रिजल्ट आया तो परिणाम कुछ और ही था। जहाँ जीतू प्रथम स्थान पर तो राघव परीक्षा में कक्षा में सबसे नीचे स्थान पर था। परीक्षा का परिणाम देखकर राहुल बहुत दु:खी हुआ। जब वह घर पहुँचा तो उसे
दु:खी देखकर उसकी दादी ने उसे समझाया कि, "बेटा! हम जिस तरह के लोगों की संगति करते हैं, हम भी धीरे-धीरे वैसे ही बनने लगते हैं।
तुम जब जीतू के साथ रहते थे, तब तुम कक्षा में द्वितीय स्थान प्राप्त करते थे। आज खराब बच्चों की संगति के कारण तुम्हारे कक्षा में सबसे कम नंबर आये हैं, इसलिए बेटा तुम्हें अच्छी संगति में रहना चाहिए।" राघव को दादी की बात समझ आ गयी थी। उसने अपनी दादी माँ से वादा किया कि, "अब से वह कभी खराब बच्चों की संगति में नहीं रहेगा।" यह सुनकर दादी माँ बहुत प्रसन्न हुईं।
#संस्कार_सन्देश
हमें सदैव अच्छे लोगों की संगति
में रहना चाहिए। खराब लोगों की संगति में हमारी उन्नति रुक जाती है और हम दुर्गुणों से भर जाते हैं।
कहानीकार-
#मृदुला_वर्मा (स०अ०)
प्रा० वि० अमरौधा प्रथम
अमरौधा (कानपुर देहात)
कहानी वाचन-
#नीलम_भदौरिया
जनपद- फतेहपुर (उ०प्र०)
✏️संकलन
📝टीम #मिशन_शिक्षण_संवाद
#दैनिक_नैतिक_प्रभात
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