199/2024, बाल कहानी- 04 नवम्बर


बाल कहानी - कपट
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अनोखेलाल और भोलेशंकर दोनों गाँव में रहकर खेती करते थे। दोनों दोस्त थे। अनोखेलाल मन ही मन में भोलेशंकर से जलन रखता था। अनोखेलाल और भोलेशंकर दोनों के खेत में फासलें खड़ी थीं। उनके खेत नहर के पास थे। 
अनोखे लाल के खेत में मक्का और भोलेशंकर के खेत में मूँगफली की खेती थी। अनोखेलाल को भोलेशंकर की मूँगफली की खेती देखकर बहुत जलन हो रही थी क्योंकि इस समय मूँगफली का भाव बहुत अच्छा था। अनोखेलाल को लगता था कि भोलेशंकर अपनी मूँगफली को मन्डी में बेचकर उससे अधिक पैसे कमा लेगा। 
अनोखेलाल ने एक चाल चली। अनोखेलाल ने खेत के बगल से जाने वाली नहर के पास में लगे बम्बे को रात में काट दिया। पानी काटने से भोलेशंकर की मूँगफली की फसल पानी में डूब गयी परन्तु भला रहा कि दो-चार दिन के बाद में मूँगफली सड़ने से बच गयी और अधिक नुकसान नहीं उठाना पड़ा। 
एक दिन अचानक से आसमान में तेज बादल आ गये और तेज बरसात होने लगी। ऐसी बरसात हुई कि तीन-चार दिन तक बन्द नहीं हुई। अनोखे लाल की खेत में पकी हुई मक्का बुरी तरीके से खराब हो गयी। अनोखेलाल सर पकड़कर रोने लगे। 
भोलेशंकर को जब यह पता लगी तो वह अपने मित्र के पास गया और उससे कहा,-"अनोखेलाल! तुम चिन्ता ना करो.. कोई बात नहीं! मूँगफली की फसल महँगी है। मैं तुम्हें बेचकर कुछ पैसे दे दूँगा। तुम शोक मत करो।" अनोखेलाल को यह बात सुनकर बहुत ग्लानि महसूस हुई। अनोखेलाल मन ही मन सोच रहा था कि वह तो अपने मित्र का बुरा करता रहा और मित्र उसके भले के लिए सोच रहा है। 
उस दिन के बाद अनोखेलाल ने अपने मन से शत्रुता का भाव निकाल दिया और सच्चे दिल से भोलेशंकर को अपना मित्र मानकर जीवन-भर मित्रता निभाता रहा। हाँ! यही उसका सच्चा पश्चाताप था।

#संस्कार_सन्देश- 
जो दूसरों का अहित करते हैं, किसी न किसी रूप में उनका भी अहित होता है।

कहानीकार-
#शालिनी (स०अ०)
प्राथमिक विद्यालय- रजवाना
विकासखण्ड- सुल्तानगंज 
जनपद- मैंनपुरी (उ०प्र०)

कहानी वाचन-
#नीलम_भदौरिया
जनपद-फतेहपुर (उ०प्र०)

✏️संकलन 
📝टीम #मिशन_शिक्षण_संवाद 
#दैनिक_नैतिक_प्रभात

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