211/2024, बाल कहानी- 21 नवम्बर
बाल कहानी- नटखट लक्ष्मी
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लक्ष्मी कक्षा दो की छात्रा थी। वह बहुत ही नटखट और बातूनी लड़की थी। वह रोज विद्यालय जाती और मन लगाकर पढ़ती। उसके अध्यापिका उसको जो भी काम देती, वह झटपट कर लेती।
एक बार उसके अध्यापिका ने उसको सात का पहाड़ा सुनाने को कहा। वह तुरन्त पहाड़ा सुनाने लगी-
फात के फात.....
फात दूनी चौदह....
फात तिया इक्कीस...
फात चौक अट्ठाइस.
फात पंचे पैंतीस....
पहाड़े सुनाने में मगन, उसको पता ही नहीं चला कि वह सात को फात बोलती है। पूरी कक्षा जब उस पर हँसने लगी, तब उसको समझ आया। लेकिन बहुत कोशिश के बाद भी वह सात को फात ही बोल रही थी।
अपना मजाक उड़ाए जाने के डर से अब वह कक्षा में शान्त रहने लगी। कुछ भी सुनाने में संकोच करती।
अध्यापिका को ये देखकर बहुत बुरा लगा। तत्पश्चात उन्होंने योजना बनायी कि वह लक्ष्मी की ध्वनि-विकार को दूर करेगी।
उन्होंने लक्ष्मी को अलग से रेमेडियल क्लास दी। उसको पहले रेत पर 'स' वर्ण लिखवाया, फिर उसका बार-बार उच्चारण कराया। फ्लैश-कार्ड पर 'स' वर्ण की पहचान करायी और अपने साथ कहानी दोहराने को कहा।
कुछ ही दिनों में अध्यापिका और लक्ष्मी की मेहनत रंग लायी और वह एक बार फिर से कक्षा में मन लगाने लगी। अब बिना किसी झिझक और डर के वह पहाड़े सुनाती थी।
#संस्कार_सन्देश -
हमें जीवन में कभी भी हार नहीं माननी चाहिए। मेहनत और लगन से हम किसी भी लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं।
कहानीकार-
#रूखसार_परवीन (स०अ०)
संविलयन विद्यालय गजपतिपुर
बहराइच (उ०प्र०)
कहानी वाचन-
#नीलम_भदौरिया
जनपद- फतेहपुर (उ०प्र०)
✏️संकलन
📝टीम #मिशन_शिक्षण_संवाद
#दैनिक_नैतिक_प्रभात
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