207/2024, बाल कहानी- 14 नवम्बर


बाल कहानी - हिरन और चूहा
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एक जंगल में एक हिरन रहता था। उसी जंगल में एक चूहा भी अपने बच्चों को लेकर वहाँ रहने के लिए आया। चूहे ने रहने के लिए एक बिल बनाया। चूहा और उसके बच्चे वहाँ पर अकेले थे। उनके साथ वहाँ पर खेलने के लिए तथा बातें करने के लिए कोई नहीं था।
एक दिन एक हिरन चरते-चरते उस जगह पर पहुँच गया, जहाँ पर चूहे का बिल था। वह थक गया था। आराम करने के लिए बिल के पास बैठा। थोड़ी देर में वहाँ चूहा आ गया। चूहे ने हिरन से पूछा, "तुम कहाँ से आये हो?" हिरन ने कहा, "मैं भी इसी जंगल में रहता हूँ। घास चरते-चरते यहाँ तक पहुँच गया हूँ।" हिरन और चूहा आपस में बातें कर रहे थे। चूहे के बच्चों ने भी उनकी बातें सुनी | चूँ-चूँ करते चूहे के बच्चे भी बिल से बाहर आ गये। हिरन ने उन्हें खूब प्यार किया।
चूहे के बच्चों ने हिरन से कहा, "यहाँ हमारा मन नहीं लग रहा है क्योंकि हमारे साथ यहाँ खेलने के लिए कोई नहीं है। दिन-भर हम बिल के अन्दर ही रहते हैं।" हिरन ने कहा, "तुम उदास मत होओ। मेरे भी दो बच्चे हैं। कल से मैं उन्हें यहाँ लेकर आऊँगा।" अगले दिन से रोज हिरन अपने दोनों बच्चों को चूहे के बिल के पास लेकर आया। चूहे के बच्चे हिरन के बच्चों को देखकर बहुत खुश हुए। वे चारों आपस में खेलने लगे और बहुत खुश रहने लगे। उस दिन से उनकी दोस्ती हो गयी।

#संस्कार_सन्देश - 
दोस्ती में हमें उन बातों को याद नहीं रखना चाहिए, जो दु:ख पहुँचाती हैं बल्कि हमें उन यादों को सजोना चाहिए, जो हमें खुशी और आनन्द देती हैं।

लेखिका- 
#दमयन्ती_राणा (स०अ०) 
रा० उ० प्रा० वि० ईड़ाबधाणी
वि० ख० कर्णप्रयाग, चमोली
             (उत्तराखण्ड)

कहानी वाचन-
#नीलम_भदौरिया
जनपद- फतेहपुर (उ०प्र०)

✏️संकलन
📝टीम #मिशन_शिक्षण_संवाद 
#दैनिक_नैतिक_प्रभात

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