210/2024, बाल कहानी- 20 नवम्बर
बाल कहानी- अनमोल पेड़-पौधे
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राहुल अपने माता-पिता के साथ शहर में रहता था। गर्मी की छुट्टी बिताने अपने गाँव में दादा-दादी के पास आया था।
बस स्टॉप से दादाजी का घर काफी दूरी पर था। गर्मियों का मौसम था। धूप बहुत तेज थी। सभी की हालत खराब हो रही थी। आस-पास कोई छायादार वृक्ष भी नहीं था। आधा घण्टे इन्तजार करने के बाद बड़ी मुश्किल से एक रिक्शा मिला, फिर सभी घर पर पहुँच गये। दादा-दादी ने सभी का खूब स्वागत किया। ढेर सारी बातें हुई। रात्रि भोजन के बाद सभी सोने चले गये। राहुल दादा और दादी के पास ही सोया।
सुबह जब राहुल की आँख खुली तो उसने देखा कि दादाजी टहलने जा रहे हैं। उनके हाथ में एक बड़ा सा झोला था। राहुल बोला, "दादाजी! मैं भी आपके साथ चलूँगा।"
"ठीक है बेटा! तुम भी मेरे साथ चलो।" दादाजी ने स्वीकृति दे दी। राहुल अचरज भरी दृष्टि से झोले की तरफ देख रहा, तभी कुछ दूर चलने के बाद दादाजी थैले से पेड़ निकाल कर वहाँ लगाने लगते हैं।
राहुल पूछता है कि, "दादाजी! आप यह क्या कर रहे हैं?" दादा जी मुस्कुराकर कहते हैं, "पर्यावरण की सुरक्षा।"
राहुल ने पूछा, "क्या मतलब दादाजी? मुझे समझ में नहीं आया, आप क्या कह रहे हैं? दादाजी कहते हैं, "बेटा! पेड़-पौधे हमारे लिए बहुत अनमोल होते हैं। यह प्रकृति के नि:शुल्क उपहार हैं।"
राहुल बोला, "पर कैसे दादाजी?" "तुम अभी नहीं समझोगे, पर एक दिन जरूर समझोगे। हमारे गाँव में अभी सड़कें बनायी गयी हैं, जिस कारण तमाम हरे पेड़-पौधों को काटा गया है।" यह कहकर दादाजी सारे रास्ते में थोड़ी-थोड़ी दूरी पर नीम, आम, जामुन आदि के पेड़ लगाते हैं। राहुल भी उनकी मदद करता है।
गर्मियों की छुट्टियाँ खत्म हो जाती हैं। राहुल वापस अपने माता-पिता के साथ शहर चला जाता है और पाँच वर्ष बाद वह फिर गाँव वापस लौट कर आता है। जैसे ही बस से उतरता है, वह देखता है कि गाँव में चारों ओर हरियाली ही हरियाली थी।
गर्मी होते हुए भी हरे पेड़-पौधों की हरियाली के कारण ठण्डी हवा चल रही थी। वृक्षों पर फल लगे हुए थे।
गाँव के बहुत से लोग पेड़ों के नीचे छाया में बैठे हुए थे। हरा-भरा सुन्दर दृश्य मन को मोह रहा था।
दादाजी द्वारा लगाए गए छोटे पौधे विशाल वृक्ष का रूप ले चुके थे।
राहुल जब घर पहुँचा तो दादा-दादी से मिलकर बहुत खुश हुआ और तुरन्त ही बोला, "दादाजी! मुझे आपकी बात का उत्तर मिल गया। पेड़-पौधे अनमोल होते हैं। पर्यावरण को स्वच्छ रखते हैं और हमें प्राण वायु देते हैं।" दादाजी कहते हैं, "हाँ बेटा! पेड़-पौधे हमारे लिए प्रकृति का नि:शुल्क उपहार हैं। हमें अपने जीवन और पर्यावरण की सुरक्षा के लिए अधिक से अधिक पेड़ पौधे लगाने चाहिए।" यह सुनकर राहुल बहुत खुश हुआ।
#संस्कार_सन्देश-
पेड़-पौधे अनमोल होते हैं। हमें पर्यावरण की रक्षा के लिए अधिक से अधिक पेड़ लगाने चाहिए और हरे पेड़ों को काटना नहीं चाहिए।
कहानीकार-
#मृदुला_वर्मा (स०अ०)
प्रा० वि० अमरौधा प्रथम
अमरौधा (कानपुर देहात)
कहानी वाचन-
#नीलम_भदौरिया
जनपद- फतेहपुर (उ०प्र०)
✏️संकलन
📝टीम #मिशन_शिक्षण_संवाद
#दैनिक_नैतिक_प्रभात
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