216/2024, बाल कहानी - 27 नवम्बर
बाल कहानी - फहद
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फहद अपनी कक्षा का सबसे होनहार छात्र था। उसका घर विद्यालय से लगभग पाँच किलोमीटर दूर था। फिर भी वह पैदल चलकर प्रतिदिन विद्यालय जाता था। फहद की यूनिफॉर्म हमेशा साफ-सुथरी होती थी। इतनी कम उम्र में अपने अच्छे आचरण के कारण वह सबकी आँखों का तारा बन गया था।
एक बार फहद की तबियत अचानक खराब हो गयी। उसको बहुत तेज बुखार था और उल्टी-दस्त हो रहा था। उसके माँ-बाप उसको पास के किसी झोला-छाप डॉक्टर के पास ले गये।
झोला-छाप डॉक्टर ने फहद को दवा दी और इन्जेक्शन भी लगाया, लेकिन उसको कोई लाभ नहीं हो रहा था। दिन-प्रतिदिन उसकी तबियत बिगड़ती ही जा रही थी। फहद इतना कमजोर हो गया था कि बिस्तर से उठना भी मुश्किल हो गया था।
अब कई दिनों से फहद विद्यालय भी नहीं जा पा रहा था। उसकी अध्यापिका को उसकी चिन्ता हुई। अभिभावक से सम्पर्क करने पर पता चला कि फहद का इलाज कोई झोला-छाप डॉक्टर कर रहा है। वह बहुत नाराज हुई। वह फौरन फहद को जिला अस्पताल ले गयी और उसका इलाज कराया ।
जाँच करने पर पता चला कि उसको लिवर में इन्फेक्शन है। अगर कुछ दिन और उसका इलाज न होता तो उसकी जान को खतरा हो सकता था। सही इलाज मिलने से फहद स्वस्थ हो गया। अब वह फिर से प्रतिदिन विद्यालय पढ़ने जाने लगा।
#संस्कार_सन्देश -
हमें बीमार पड़ने पर अपना इलाज किसी प्रशिक्षित डॉक्टर से कराना चाहिए न कि किसी झोला-छाप डॉक्टर से।
कहानीकार-
#रूखसार_परवीन (स०अ०)
संविलयन विद्यालय गजपतिपुर,
बहराइच (उ०प्र०)
कहानी वाचन-
#नीलम_भदौरिया
जनपद-फतेहपुर (उ०प्र०)
✏️संकलन
📝टीम #मिशन_शिक्षण_संवाद
#दैनिक_नैतिक_प्रभात
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