203/2024, बाल कहानी- 09 नवम्बर
बाल कहानी - हुनरमन्द
------------------------
जूलिया कक्षा आठ की छात्रा थी। वह पढ़ने में बेहद कमजोर थी। गणित विषय तो जूलिया को समझ ही नहीं आता था। पढ़ाई-लिखाई में कमजोर होने के कारण जूलिया के माता-पिता उसके भविष्य के बारे में सोचकर सदैव चिन्तित रहते, परन्तु जूलिया को ड्राइंग का बेहद शौक था। वह कक्षा में पढ़ाई के समय भी चित्र बनाती। जब शिक्षक जूलिया को पढ़ाई के समय चित्रकला में मगन देखते तो उसे बहुत डाँटते, परन्तु जूलिया अपने काम में ही मस्त रहती। उसका यह व्यवहार देखकर विद्यालय के प्रधानाचार्य जी ने एक दिन जूलिया के माता-पिता को विद्यालय में बुलाया और जूलिया को कक्षा आठ से कक्षा पाँच में कर दिया। यह सुनकर जूलिया के माता-पिता बहुत दु:खी हुए, लेकिन जूलिया को इस बात की खुशी हुई कि अब उसे कठिन विषय नहीं पढ़ने पढ़ेंगे और चित्र बनाने का ज्यादा समय मिलेगा। जूलिया अपनी कक्षा में बैठे-बैठे शिक्षकों के चित्र बना देती। आसपास के प्राकृतिक वातावरण को देखकर वह अपने चित्रकारी के माध्यम से कागजों पर उतार देती। उसकी चित्रकला की लोग खूब सराहना करते। जूलिया के रिश्तेदार जब उसके घर आते तो जूलिया की चित्रकला देखकर प्रसन्न होते। वे अपने लिए भी जूलिया से चित्र बनाने को कहते। यह देखकर जूलिया की माँ कभी-कभी बहुत गुस्सा करती, पर जूलिया अपने चित्रकला में सदैव प्रसन्न रहती है। समय बीतता गया। जूलिया अपने चित्रकला के माध्यम से सफलता की सीढ़ियाँ चढ़ती हुई आगे बढ़ने लगी। जूलिया की कला-प्रदर्शनी कई देशों में प्रदर्शित हुई। एक दिन वह सफल चित्रकार बनी। जूलिया की सफलता से उसके माता-पिता गौरवान्वित हो गये।
#संस्कार_सन्देश -
माता-पिता और शिक्षकों को बच्चों की रुचि को ध्यान में रखते हुए शिक्षा देनी चाहिए।
#रचना_तिवारी (प्र०अ०)
प्राथमिक विद्यालय ढिमरपुरा
पुनावली-कलां, ब्लॉक- बबीना
जिला- झाँसी (उ०प्र०)
कहानी वाचन-
#नीलम_भदौरिया
जनपद-फतेहपुर (उ०प्र०)
✏️संकलन
📝टीम #मिशन_शिक्षण_संवाद
#दैनिक_नैतिक_प्रभात
Comments
Post a Comment