200/2024, बाल कहानी - 05 नवम्बर


बाल कहानी- सोच में बदलाव
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रामू गरीब किसान था। उसके तीन बच्चे थे। दो लड़के एक लड़की। रामू के माता-पिता भी उसके साथ रहते थे। रामू को अपना परिवार चलाने में बड़ी तंगी का सामना करना पड़ता था। रामू ज्यादा पढ़ा-लिखा नहीं था। उसके माता-पिता और पत्नी अशिक्षित थे।
रामू के गाँव में बेटियों को पढ़ाया-लिखाया नहीं जाता था। गाँव में उन्हें बोझ समझा जाता था।
रामू के दोनों बच्चे अब बड़े हो चुके थे। रामू ने उनका दाखिला सरकारी स्कूल में करा दिया। जब रानी की उम्र पढ़ाई के लिए हुई, तब उसका नाम विद्यालय में नहीं लिखाया। अध्यापकों के कहने पर रामू कहता, "बेटी! पढ-लिखकर क्या करेगी? उसकी माँ भी 'हाँ' में 'हाँ' मिलाती और कहती, "बेटी तो पराया धन है। आखिर करना तो उसको चूल्हा-चौका ही है।" अध्यापकों के बार-बार कहने पर रामू, रानी का दाखिला करा देता है। 
समय बीतता है। जहाँ रानी मन लगाकर पढ़ाई कर रही थी, वहीं उसके दोनों बेटों का मन पढ़ाई में बिल्कुल नहीं लगता था। वह विद्यालय से आकर बस्ता फेंककर खेलने निकल जाते थे।
रानी कक्षा पाँच में आ गयी थी। कक्षा अध्यापक ने उसकी मेहनत और लगन देखकर उसका नवोदय का फार्म भरवा दिया था। अब तो रानी को पढते-पढते सुबह से शाम हो जाती, वह दिए की रोशनी में भी पढ़ाई करती-रहती थी। 
समय बीत रहा था। वहीं उसके दोनों भाई विद्यालय में पढ़ाई की जगह झगड़ा करते थे और आए दिन उनकी शिकायतें आतीं थीं।
जब परीक्षा का रिजल्ट आया तो रानी ने परीक्षा न केवल उत्तीर्ण की बल्कि जिले में पहला स्थान प्राप्त किया था।
अब तो रानी की चर्चा चारों ओर हो रही थी। विद्यालय में सम्मान-समारोह का आयोजन किया गया, जिसमें रानी के पूरे परिवार को बुलाकर सम्मानित किया गया। रामू की आँखों से खुशी के आँसू झलक पड़े। वह बोला कि, "हमें बेटा और बेटी में कोई फर्क नहीं करना चाहिए। दोनों को उनकी योग्यता के अनुसार पढ़ने का अवसर प्रदान करना चाहिए।"
सभी गाँव वालों ने तालियाँ बजायीं और प्रतिज्ञा की कि, "वह भी रानी की तरह अपनी बेटियों को पढ़ने का सामान अवसर देंगे और बेटा और बेटी में कोई फर्क नहीं करेंगे।" 
आज सभी की सोच में परिवर्तन हो गया था।

#संस्कार_सन्देश- 
हमें बेटा और बेटी में कोई फर्क नहीं करना चाहिए। उन्हें उनकी योग्यता के अनुसार पढ़ने का समान अवसर प्रदान करना चाहिए।

कहानीकार-
#मृदुला_वर्मा (स०अ०)
प्रा० वि० अमरौधा प्रथम
अमरौधा (कानपुर देहात)

कहानी वाचन- 
#नीलम_भदौरिया
जनपद- फतेहपुर (उ०प्र०)

✏️संकलन
📝टीम #मिशन_शिक्षण_संवाद 
#दैनिक_नैतिक_प्रभात

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