209/2024, बाल कहानी- 19 नवम्बर


बाल कहानी - फूलवती का बगीचा
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एक गाँव में एक किसान परिवार निवास करता था। उस परिवार में हरिराम और उसकी पत्नी सुमेधा और उनका पुत्र अभिषेक और पुत्री फूलवती रहते थे। फूलवती घर में सबसे छोटी और नटखट थी। उसकी प्रारम्भिक शिक्षा के लिए गाँव के विद्यालय में दाखिला हो गया। उस विद्यालय में आवश्यक सभी व्यवस्थाएँ थीं। वह नियमित विद्यालय जाती और अपनी पढ़ाई करती। उस विद्यालय में एक तरफ सब्जी और फल उगाए जाते थे। फूलवती ने उत्सुकता से अपनी क्लास के शिक्षक से किचिन गार्डन के बारे में पूछा! 
तब उन्होंने फूलवती को किचिन गार्डन के लाभ और विकसित करने का तरीका भी समझाया। फूलवती ने उसी समय सोच लिया था कि वह भी अब अपने खेत में किचिन गार्डन बनायेगी। उसने घर आकर इसके बारे में अपने पिताजी को बताया। पिताजी ने कहा, "अपने पास खेत है और पानी भी है।" 
फिर फूलवती ने अपने घर पर किचिन गार्डन विकसित किया, जिसमें मिर्ची, टमाटर, भिंडी, लौकी, तोरई, कद्दू, अमरूद और भी अलग-अलग सब्जी और फलों के वृक्ष लगाये। 
एक दिन फूलवती अपने किचिन गार्डन से सब्जी तोड़कर अपने विद्यालय में ले गयी। उससे स्कूल के प्रधानाचार्य जी ने पूछा तो फूलवती ने बताया कि, "हमारी कक्षा के कक्षाध्यापक जी ने किचिन गार्डन के बारे में बताया। उसी से मैंने सीखकर अपने घर में पिताजी की मदद से किचिन गार्डन बनाया। उसी में से सब्जी लेकर आयी हूँ।"
प्रधानाध्यापक बहुत खुश हुए और उन्होंने किचिन गार्डन के बारे में स्कूल में सभी बच्चों को बताया, जिससे सभी बच्चे प्रेरित हुए। ज्यादातर बच्चे अपने-अपने घर सब्जी और फलों के पौधे उगाने लगे। 

#संस्कार_सन्देश -
प्रत्यक्ष अनुभव हमारे जीवन में शिक्षा को स्थायित्व प्रदान करते हैं। 

लेखक-
#धर्मेंद्र_शर्मा (स०अ०)
कन्या० प्रा० वि० टोडी-फतेहपुर,
गुरसरांय, झाँसी (उ०प्र०)

कहानी वाचन-
#नीलम_भदौरिया
जनपद-फतेहपुर (उ०प्र०)

✏️संकलन
📝टीम #मिशन_शिक्षण_संवाद #दैनिक_नैतिक_प्रभात

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