219/2024, बाल कहानी- 30 नवम्बर


बाल कहानी - हुनर का महत्व
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एक गाँव में एक किसान रहता था। उस किसान के तीन पुत्र थे। तीनों ही बहुत होशियार और होनहार बच्चे थे, लेकिन तीनों ही बच्चों को अलग-अलग क्षेत्रों में रुचि थी, जिसके कारण तीनों बच्चों में आपसी तालमेल कम बैठता था। ऐसा नहीं था कि उन भाइयों में आपस में प्यार नहीं था। तीनों ही भाई एक-दूसरे पर जान छिड़कते थे। जो बड़ा भाई था, वह पढ़ाई में बहुत होशियार था। उसका मन पढ़ाई में बहुत ज्यादा लगता था। वह गणित में बहुत ही ज्यादा अच्छे नंबर लाया करता था। दूसरी तरफ दूसरा भाई जो था, उसे पढ़ाई पर उतनी रुचि नहीं थी, जितनी उसकी रुचि खेल में हुआ करती थी। दिन भर वह हॉकी खेलना पसन्द करता था। जब भी उसे समय मिलता, तो हॉकी के लिए निकल जाता था। तीसरा भाई जो था, उसे बढ़िया-बढ़िया खाना खाने में बहुत रुचि थी, जिसके लिए वह नए-नए व्यंजन बनाना सीखता रहता था। सीखते सीखते उसे बहुत ही अच्छे-अच्छे व्यंजन बनाने आ गए थे। इनकी माँ जो किसान की पत्नी थी, वह सदैव बड़े बेटे के अलावा बाकी दोनों को दिन-भर डाँटा करती थी और कहती थी, "इन सब फालतू कामों में मन लगाने से कुछ नहीं होगा, तुम सिर्फ पढ़ाई पर ध्यान दो। जैसे तुम्हारा बड़ा भाई दिन-भर पढ़ाई करता है।" लेकिन बाकी दोनों भाइयों को अपने-अपने काम में बहुत मजा आता था, चाहे उनकी माँ जितनी भी गुस्सा करे, वह अपने ही काम में लगे रहते थे। 
कुछ साल बाद तीनों ही भाई बड़े हो गये। बड़े बेटे का चुनाव एक कॉलेज के प्रवक्ता के रूप में हो गया। दूसरे बेटे का चुनाव भारत की हॉकी टीम में हो गया, लेकिन तीसरा बेटा जिसका चुनाव किसी में भी नहीं हुआ, वह बहुत दु:खी रहता था। अचानक एक दिन एक खाना बनाने की प्रतियोगिता हुई, जिसमें उसने प्रतिभाग किया। माँ ने भी बेमन से उसे प्रतियोगिता के लिए भेज दिया। प्रतियोगिता में उसने प्रथम स्थान प्राप्त किया और फाइव स्टार होटल में उसे एक सैफ की नौकरी मिल गयी। अब तीनों ही भाई अपने-अपने काम में महारत हासिल कर बहुत बड़े आदमी बने। पिता को भी अपने तीनों बच्चों पर बहुत गर्व हुआ। अब उनकी माँ को समझ में आया कि केवल पढ़ाई ही सब कुछ नहीं होती, किसी भी क्षेत्र में हम महारत हासिल कर अपने जीवन को आगे बढ़ा सकते हैं और एक सम्मानजनक जीवन जी सकते हैं। दुनिया हर गुण की पहचान करती है।

#संस्कार_सन्देश -
जिस बच्चे की जिस क्षेत्र में रुचि हो, उसे उसी क्षेत्र में आगे बढ़ने का अवसर देना चाहिए, तभी हम बच्चों को आगे बढ़ा सकते हैं।

कहानीकार-
#अंजनी_अग्रवाल (स०अ०)
उच्च प्राथमिक विद्यालय सेमरुआ, सरसौल, कानपुर नगर (उ०प्र०)

कहानी वाचन-
#नीलम_भदौरिया
जनपद-फतेहपुर (उ०प्र०)

✏️संकलन
📝टीम #मिशन_शिक्षण_संवाद 
#दैनिक_नैतिक_प्रभात

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