205/2024, बाल कहानी - 12 नवम्बर


बाल कहानी - साइकिल
---------------------
तीन मित्र थे, राजू, सोनू और पप्पू। तीनों में बड़ी गहरी मित्रता थी। 
छुट्टी का दिन था। तीनों ने एक योजना बनायी कि, "चलो, क्यों न हम लोग आज साइकिल की दौड़ करते हैं। जो सबसे आगे होगा, उसको इनाम मिलेगा।" सोनू की बात सुनकर राजू बोल उठा, "पर ईनाम देगा कौन?"
पप्पू और सोनू भी सोच में पड़ गये। बोले, "राजू! तुम सही कह रहे हो। जीतने वाले को ईनाम देगा कौन?" तभी सोनू के मन में एक विचार आया। वह झट से बोल उठा, "मेरे पास पाँच रुपए हैं। तुम दोनों के पास कितने रुपए है?"
इत्तेफाक से राजू और पप्पू के पास भी पाँच रुपए थे। तीनों ने पैसा इकठ्ठा किया और शर्त लगायी कि, "जो जीता, उसके ये सारे पैसे अभी।" साइकिल का खेल शुरू ही हुआ था कि पास खड़ा मिंटू सब सुन रहा था। वह दौड़कर तीनों के घर गया और शिकायत की कि, "तीनों जुआ खेल रहे है पैसा लगाकर, वो भी साइकिल रेस में। फिर क्या था? तीनों के अभिभावकों ने आकर सच्चाई देखी और तीनों को समझाते हुए बोले, "बेटा! ये गलत है। जीत की खुशी में इन्हीं पैसे से कुछ खा लेते, पर शर्त लगाना, पैसा लगाना सही नहीं है।" पास खड़ा मिंटू बहुत उदास था। वह बोला, "आप सबको मैंने इतना बढ़ा-चढ़ाकर इन तीनों की शिकायत की। आप मारने, डाँटने, व सजा देने की बजाय समझा रहे हैं! ऐसा क्यो?"
तभी उनमें से एक अभिभावक बोला, "प्यारे बच्चे प्यार से समझ जाते हैं। उन्हें सजा देने की जरूरत नहीं पड़ती। तुम भी मेरे पुत्र समान हो। चुगली करने के बजाय गलत काम करने से रोकने का प्रयास किया करो।"
मिंटू ने माफी माँगी और बोला, "ठीक है। आज से मैं भी अच्छा बच्चा बनूँगा।"
सोनू, राजू और पप्पू को भी अपनी गलती का एहसास हुआ। सबने बारी-बारी माफ़ी माँगी और सब लोग अपने-अपने घर की ओर चल दिए।

#संस्कार_सन्देश - 
प्यारे बच्चे सदैव अपने अभिभावक का कहना मानते हैं। अगर भूल से कोई गलती हो जाए तो माफी माँग लेते हैं।

कहानीकार-
#शमा_परवीन (अनुदेशक)
पूर्व मा० वि० टिकोरा-मोड़ 
ब्लॉक- तजवापुर, बहराइच (उ०प्र०)

कहानी वाचन-
#नीलम_भदौरिया
जनपद-फतेहपुर (उ०प्र०)

✏️संकलन
📝टीम #मिशन_शिक्षण_संवाद 
#दैनिक_नैतिक_प्रभात

Comments

Total Pageviews