न काटो इनको भइया रे
लगावत काहे नइयाँ रे, न काटो इनको भइया रेl
प्राणवायु जो ऑक्सीजन है, पेड़ई इसको देवेंI
गंदी वायु को शुद्ध करत हैं, पानी ये बरसावेंll
कि पर्यावरण बचइया रे , न काटो ... ... ...
पेड़न से फल फूल मिलत हैं, छाया भी ये देवेंI
औषधियाँ भी पेड़ देत हैं, दूरी रोग भगावेंll
सुनलो जान बचइया रे, न काटो ... ... ...
हरे न काटो रोपो सबले, समझो बहुत जरूरीI
भोजन, पानी, साँस मिले न, जनता मरहै पूरीll
सुनलो ध्यान लगइयां रे, न काटो ... ... ...
पेड़ काटना सख्त मना है, नियम बनो सरकारीl
धारा 4/10 लग जैहे, जेल में रोओ भारीll
'माधव' राह दिखइया रे, न काटो ... .... ...
रचयिता
कवि सन्तोष कुमार 'माधव',
सहायक अध्यापक,
पूर्व माध्यमिक विद्यालय सुरहा,
विकास खण्ड-कबरई,
जनपद-महोबा।
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