विश्व माता-पिता दिवस
तर्ज-- फूलों का तारों का सबका कहना है.......
तू ही है दुर्गा..... माँ तू ही काली है,
तू कितनी प्यारी... भोली भाली है।
सारे... दु:खों को.. तू हरने वाली है।
तू ही है......
मुझको अपने आँचल में खो जाने दो माँ,
अपने ज़न्नत क़दमों में.. सो जाने दो माँ।
जीवन के उपवन की तू वनमाली है।
तू ही है..............
सबसे पहले दुनिया में...लाने वाली माँ,
लोरी गाकर मुझको..... सुलाने वाली माँ।
सारे..सुखों को......तू देने वाली है।
तू ही है...............
गंगा जल से पावन मन वाली तू है माँ,
सारे जग में सबसे बलशाली तू है माँ।
तू स्वर की देवी है...... स्वर देने वाली है।
तू ही है...................
रचयिता
डॉ० प्रभुनाथ गुप्त 'विवश',
सहायक अध्यापक,
पूर्व माध्यमिक विद्यालय बेलवा खुर्द,
विकास खण्ड-लक्ष्मीपुर,
जनपद-महराजगंज।
Comments
Post a Comment