शिवरात्रि
बखान शिव का सुन
लगी प्रीत की लगन
तप हेतु गौरी गई
तन्हा निरजन वन में।
साधना में रत हुई
शिव पर रम गई
अन्न जल त्याग
शिव धारे हृदय में।
नित्य जलाभिषेक करें
ओम का करें जप
काया सूखे पत्ते सम
तेज भरा तन में।
मगन मन रकीब
हृदय विजन प्रीत
मुनियों संग भेजा
उमा को सदन में।
ब्रह्मा ने रचा मुहूर्त
दूल्हा शिव साधु
ब्रह्मा विष्णु सजे
बाराती संग में।
आये भूत प्रेत सब
हुआ शिव ब्याह तब
महर्षि मंत्र जपे
हर्ष हर क्षण क्षण में।
हुई कल्याणकारी
यह शिवरात्रि
भक्त गण ओम जपें
कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी में।
रचयिता
साधना,
प्रधानाध्यापक
कंपोजिट स्कूल ढोढ़ियाही,
विकास खण्ड-तेलियानी,
जनपद-फतेहपुर।
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