हाथी दादा की शादी
हाथी दादा की शादी में,
हुआ बहुत ही तमाशा।
बन्दर फूफा जी रूठ गये,
न बजने दिया बैन्ड बाजा।
फूफा जी तो लगे कूदने
एक जगह न फिर बैठे।
उछल -उछल कर सभी जगह,
सब कुछ तोड़े - फोड़े।
कभी गिराये झालर तम्बू,
कभी सोफे को फिर नोंचे।
हाथी दादा को गुस्सा आया,
उठा सूँड से बाहर फेंका।
फूफा जी फिर चुपचाप,
पूछ दबा कर भागे।
भूल गये फिर सारी गुस्सा,
नेग - बेग न कुछ माँगे।
रचनाकार
दीपमाला शाक्य दीप,
शिक्षामित्र,
प्राथमिक विद्यालय कल्यानपुर,
विकास खण्ड-छिबरामऊ,
जनपद-कन्नौज।
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