पुलवामा के शहीद

पुलवामा के शहीदों को मैं,

 शत् शत् शीश झुकाती हूँ। 

अश्रुपूर्ण श्रद्धांजलि दें,

 आँसू से दीप  जलाती हूँ।


 रोई बूढ़ी आँखों की ,

 शत् शत् फरियाद बताती हूँ।

 मिला न्याय न हमको, 

कबसे फरियाद लगाती हूँ।


लड़कर जो हो जाते शहीद,

 दिल में गम फिर न होता।

लाल मेरा टुकड़ों में बँटा, 

और बड़ा  दुःख  क्या होगा।


आज तलक न पता चला,

 गद्दारों की गद्दारी का। 

खता बताओ  किसने की, 

वतन से मक्कारी की।


भारत पर वीर सदा ही, 

शत् शत् शीश कटायेंगे।

मगर यों गद्दारी से मिटे, 

गुस्ताखी न सह पायेंगे।


      🇮🇳   जय हिन्द जय भारत 🇮🇳


रचनाकार

दीपमाला शाक्य दीप,

शिक्षामित्र,
प्राथमिक विद्यालय कल्यानपुर,
विकास खण्ड-छिबरामऊ,
जनपद-कन्नौज।

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