साइकिल की सवारी

साइकिल की सवारी,

लगती हमको प्यारी।

खूबियाँ है इसमें अनेक,

प्रदूषण मुक्त रहे दुनिया सारी।।


हर वर्ग को होती प्यारी,

बच्चे, बूढ़े की रामप्यारी।

ऊँच-नीच का फ़र्क मिटाये, 

साइकिल है शान की सवारी।।


 बीमारी या मोटापे की हो दस्तक,

चुस्त रहने को साइकिल है बेहतर। 

बचपन की पहली ख़्वाहिश साइकिल, 

पेट्रोल बिना भी, चलती है सरपट घर।।


गली, नुक्कड़, पगडंडी ये चलती,

किराया न लेती बचत है करती।

स्वस्थ जीवन को देती आधार,

बड़ी दुर्घटना से, यह हमें बचाती।। 


 नाजुक मोड़ आये कितना भी, 

संतुलन कर चलना, ये सिखाती  

तकनीकी के इस युग में भी,

साइकिल अपना अस्तित्व बताती।।


रचयिता

वन्दना यादव "गज़ल"
सहायक अध्यापक,

अभिनव प्रा० वि० चन्दवक,

विकास खण्ड-डोभी, 
जनपद-जौनपुर।

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