पिता श्री

पिता कोई रिश्ता नहीं ऐसा,

जिसको भूल कभी हम पाये।

हर दिन, हर पल, दिल में रहते,

जबसे हम दुनिया में आये।।


लाड़ो, गुड़िया, प्यारा बेटा,

कहकर मुझे बुलाया करते।

कभी न मुझको बेटी सोचे,

बेटा जैसा दुलारा करते।।


आज एक दिन नहीं है उनका,

यदि जीवन में मैं कर पाऊँ।

जो प्रेरणा देते मुझको,

हरदम सफल मैं उसे बनाऊँँ।।


मेरे जो कर्तव्य हैं उनको,

आपकी सीख से कर पायी।

पृथ्वी लोक में आपकी पिता श्री,

कोई नहीं कर पाया भरपायी।।


सदा आपका मान बढ़ाऊँ,

संतति को संस्कारित बनाऊँ।

ईश कृपा, आशीषें पाकर,

आपका नाम रोशन कर जाऊँ।।


रचयिता
श्रीमती नैमिष शर्मा,
सहायक अध्यापक,
परि0 संविलियत पूर्व माध्यमिक विद्यालय तेहरा,
विकास खण्ड-मथुरा,
जनपद-मथुरा।



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