विश्व साइकिल दिवस

साइकिल को सब भूल गए

घर मोटरसाइकिल ले आए

बाहर निकल गई जब तोंद

हुए तनाव में और  पछताए।


महँगाहुआ डीजल, पेट्रोल 

साइकिल में ना कोई खर्चा

बिन पैसों के खूब चलाओ 

न चढ़े ईएमआई न चढ़े कर्जा।


इससे न होती वायु प्रदूषित

तन को तंदुरुस्त रखती है

बच्चे बूढ़े शौक से चलाएँ  

 जब हवा से बातें करती हैं।


जीवन में नया अध्याय है जुड़ता

गिर के उठना साइकिल सिखाती

बचपना जब साइकिल सीखता

संतुलन क्या है साइकिल बताती।


भविष्य में होगी साइकिल की माँग

क्योंकि समय का चक्र चलता है

प्रदूषण तेल बचाने के खातिर

साइकिल का पहिया चलता है।


रचयिता

संगीता गौतम जयाश्री,

सहायक अध्यापक,

उच्च प्राथमिक विद्यालय ऐमा,

विकास खण्ड-सरसौल,

जनपद-कानपुर नगर।

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