संत कबीर दास

नमन है उस महान कवि को जिसने समाज का सुधार किया,

समाज में फैले अंधविश्वास और कुरीतियों का विनाश किया।


वे भक्तिकाल की निर्गुण शाखा के कवि थे,

भारतीय रहस्यवादी लेखक व संत थे।


कबीरपंथी इनकी महिमा का वर्णन गाते हैं,

सत्य, अहिंसा और सदाचार के गुणों को बताते हैं।


गुरु ग्रंथ साहिब में इनके छंदों के पद समाए हैं,

मनुजता को जागृत करने के गीत इन्होंने गाए हैं।


इस कलयुग में क्या कोई कबीर बन सकता है,

सब धर्मों को एक समान और एक दृष्टि से देख सकता है।


रचयिता

संगीता गौतम जयाश्री,

सहायक अध्यापक,

उच्च प्राथमिक विद्यालय ऐमा,

विकास खण्ड-सरसौल,

जनपद-कानपुर नगर।



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