साइकिल

दो पहियों की मेरी साइकिल

प्यारी- प्यारी न्यारी साइकिल।

बच्चे बड़े सभी की हमदम 

बनती सदा सवारी साइकिल।


चुन्नू,  मुन्नू,  गुड्डी,  मुन्नी के

संग दौड़ लगाती साइकिल,

बड़कू, छुटकी, भैया, दीदी

सबके मन को भाती साइकिल।


बचपन में हमने भी जिद कर

पापा से मँगवाई साइकिल,

गलियारे से सड़क मार्ग तक

छककर खूब चलाई साइकिल।


खेल खिलौना मस्ती साइकिल

गप-शप साथ चहकती साइकिल,

सुबह-शाम बच्चों की टोली

के संग खूब घूमती साइकिल।


तन मन स्वस्थ बनाती साइकिल

सरपट दौड़ लगाती साइकिल,

बिन डीजल और पेट्रोल के

हमको सैर कराती साइकिल।


जो साइकिल की करे सवारी

उससे दूर रहे बीमारी,

टनन-टनन  सी घंटी वाली

पैडल वाली सुंदर न्यारी।


चलो घूम साइकिल पर आएँ

मिलकर साइकिल खूब चलाएँ,

बिन पैसे के सैर सपाटा

चलो घूम दुनिया में आएँ।


रचयिता

यशोधरा यादव 'यशो'

सहायक अध्यापक,

कंपोजिट विद्यालय सुरहरा,

विकास खण्ड-एत्मादपुर,

जनपद-आगरा।



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