साईकिल

तर्ज - तुम तो ठहरे परदेशी


घंटी टन टन बजाती है,

   हमें पास बुलाती है।

      अपनी धुन में मस्ती से,

           नागिन सी लहराती है।


बचपन की याद दिलाती है

   जोश नया जगाती है 

      दिल तो है बच्चा जी,

         एहसास ये जगाती है।

            घंटी टन टन..........


खेत और खलीहानों की,

  नित हमें सैर कराती है।

    कच्ची पक्की सड़कों पर,

      सरपट से दौड़ी जाती है।

        घंटी टन टन..........


ना डीजल, पेट्रोल खाती है 

   पैसे ये बचाती है।

       मुफ्त में ही ये हमको,

         मंजिल पे पहुँचाती है।

             घंटी टन टन..........


धुआँ नहीं उड़ाती है,

   चोट ना पहुँचाती है।

      हर कदम पे अपना ये,

         साथ सदा निभाती है।

             घंटी टन टन..........


रचनाकार

सपना,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय उजीतीपुर,
विकास खण्ड-भाग्यनगर,
जनपद-औरैया।



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