शिक्षक की राष्ट्र निर्माण में भूमिका (गोठा संकल्प)
★शिक्षक की राष्ट्र निर्माण में भूमिका★
“शिक्षक राष्ट्र निर्माता होता है„ यह वाक्य हमें बचपन से लेकर शिक्षक बनने के कुछ वर्षों तक बार- बार सोचने पर विवश करता रहा। कि एक शिक्षक जो केवल पढ़ाता है राष्ट्र निर्माता कैसे हो सकता है?
लेकिन जैसे ही शिक्षक के रूप में विभिन्न गाँवों के उस समाज के करीब आने का मौका मिला। जिनका मानवीय जीवन विषम और सोच विहीन परिस्थितियों में जीते मिला। जहाँ न बच्चों के भविष्य की चिंता और न ही बच्चों से प्रेम, आज कमा खा लिया, कल कमाने खाने की चिंता। बात करने का ढंग क्रोध एवं अहंकार से पूर्ण, नशा और गंदगी से दोस्ती। बात- बात पर अविस्वासपूर्ण व्यवहार। मन में विचार आया आखिर यह मनुष्य ऐसे क्यों???
जब हम करीब पहुँचे और बात करने का प्रयास किया तो चेहरे पर संदेहपूर्ण भाव स्पष्ट दिखाई दे रहा था। जैसे हम उनके साथ कुछ धोखा करने आये हों। जब हमने उनके अन्दर की वास्तविक स्थिति का पता किया तो पता चला कि आप अनपढ़ अथवा अशिक्षिक हैं। इसीलिए आज इन्हें अपने सामान्य जीवन जीने के लिए पग पग सहारे की तलाश रहती है जिनमें कुछ ने इन्हें धोखा भी दिया। जिससे आज इनकी यह मानसिक स्थिति बन चुकी है। गरीबी और शोषण इनका भाग्य बन चुका है। अंगूठा छाप इनकी पहचान बन चुकी है। रूढ़वादिता और अंधविस्वास में विस्वास पूर्ण ढंग से जीवन जीना इनकी आदतों में समा गया। लड़ाई, झगड़ा, चोरी डकैती, नशाखोरी ही इनके जीवन का भाग्य बन गया है।
लेकिन जब इनके बच्चों को और इन्हें शिक्षा की संस्कारशाला से जोड़ कर शिक्षित किया, दुनियाँ के और विभिन्न प्रगतिशील समाजों का ज्ञान कराया तो इन बच्चों और अभिभावकों में मानवीय परिवर्तन की अद्भुत झलक देखने को मिली। अब यह अंगूठा छाप नहीं कहें जाते है, लिखना जानते हैं, पढ़ना जानते है,अपने काम का हिसाब जानते हैं, गणित जानते हैं, स्वास्थ्य और स्वच्छता जानते हैं,अपने देश का इतिहास जानते हैं। तथा महापुरूषों का जीवन परिचय जानकर स्वयं महान बन कर एक महान राष्ट्र के विषय में तर्कपूर्ण ढंग से अपने विचार व्यक्त करते हैं।
उपर्युक्त परिवर्तन के बाद अहसास हुआ कि शिक्षा का किसी व्यक्ति के जीवन में और राष्ट्र की प्रगति कितनी महत्वपूर्ण भूमिका है। क्योंकि किसी राष्ट्र के शिक्षित नागरिक ही उस देश की सबसे बड़ी पूँजी होती है, जिसका निर्माण केवल शिक्षक के शिक्षण द्वारा ही सम्भव है।
अतः अब हम स्पष्ट रूप से कह सकते हैं कि शिक्षक की राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका होती है। जिसकी अनदेखी करना उस राष्ट्र के पतन का कारण भी हो सकता है।
आओ हम सब अपना फर्ज़ निभायें।
देश के हर विवेक को विवेकानन्द बनायें।।
देश के हर विवेक को विवेकानन्द बनायें।।
विमल कुमार
UPS अमराहट, राजपुर
कानपुर देहात
UPS अमराहट, राजपुर
कानपुर देहात
1-फेसबुक पेज:-
@ https://m.facebook.com/shikshansamvad/
@ https://m.facebook.com/shikshansamvad/
2- फेसबुक समूह:-
https://www.facebook.com/groups/118010865464649/
https://www.facebook.com/groups/118010865464649/
3- मिशन शिक्षण संवाद ब्लॉग
http://shikshansamvad.blogspot.in/
http://shikshansamvad.blogspot.in/
4- Twitter
https://twitter.com/shikshansamvad?s=09
https://twitter.com/shikshansamvad?s=09
5- यू-ट्यूब
https://youtu.be/aYDqNoXTWdc
https://youtu.be/aYDqNoXTWdc
Comments
Post a Comment