रंग-बिरंगे फूल

कितनी रंग-बिरंगे फूल
लगते हैं यह ब्यूटीफुल
खूब सब मस्ती में रहते
हरदम देखो ये हैं हँसते

किसी से तुम मत करो तुलना
अपने  पथ  पर  बढ़ते  रहना
आँधी, हवा, तूफान आये
अपनी जमीन कभी न छोड़ना

बगीचों को हैं ये महकाते
जिसमें पक्षी हैं चहचहाते
फूलों की है बात निराली
इससे धरती पर खुशहाली।

रचयिता
सुधांशु श्रीवास्तव,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय मणिपुर,
विकास खण्ड-ऐरायां, 
जनपद-फ़तेहपुर।

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