बाल विनय

घर में रहकर हो गये बोर
कहाँ मचाएँ जाकर शोर
विद्यालय हैं बंद हमारे
सहपाठी भी हो गये दूर
खेल पढ़ाई भी है बंद
हम कितने मजबूर हो गए
फोन से पढ़ना, फोन से खेल
फोन पर बातें फोन पर मेल
हम चश्मेबद्दूर हो गये
विनती सुन लो से भगवान
महामारी ने किया परेशान
इसको कर दो हमसे दूर
पहले वाले दिन लौटा दो
मेरा विद्यालय खुलवा दो
हमको खुशियाँ दो भरपूर
बात पे मेरी करना गौर
घर में रहकर हो गये बोर

रचयिता
शालिनी शर्मा,
सहायक अध्यापक,
राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय छापुर,
विकास खण्ड-भगवानपुर,
जनपद-हरिद्वार,
उत्तराखण्ड।

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