हे प्रथमेश हे

हे प्रथमेश हे गौरी गणेश
बारम्बार प्रणाम करूँ।।

हे गणपति हे कृपा निधान
कर दो जग का फिर कल्याण।।

स्वर्ण मुकुट, पीताम्बर धारी
गिरिजा लाल, करो मूषक सवारी।।

धन्य करो हे गजबदन बिहारी
महिमा तुम्हारी, अति उपकारी।।

विश्व -विनायक गण राज सदन
बुद्धि विनायक हे सद्गुरु सदन।।

करो जगत का फिर उद्धार
वक्रतुण्ड हे जग विघ्नेशर।।

पुस्तक पाणि, दो विद्या दान
हर लो विपदा तुम हो महान।।

रिद्धि सिद्धि के तुम हो दाता
मोदक प्रिय है, जग विख्याता।।

आई धरा पर विपदा भारी
राह दिखाओ हे मंगलकारी।।

मात पिता को कर प्रथम प्रणाम
किया धरा को, परिक्रम धाम।।

देख दशा -दुर्दशा हमारी
कृपा करो हे गिरिजेश कुमार।।

तुम हो प्रकृति के उद्धारक
विघ्न विनाशक, हे बुद्धि विनायक।।

स्वागत है हे लम्बोदर
तुम अनंत तुम, सुखकर्ता तुम

तुम हो। चतुर्भुज, तुम हो हर्ता
पीताम्बर तुम, दुःखहर्ता तुम।।

नमन करूँ हे गजबदन तुम्हारा
अभिनन्दन है, हे गजाधर प्यारा।।

आओ विराजो, मंगलकारी
हरो जगत की ये महामारी।

हम सब हैं तेरी संतान
क्षमा करो हे गौरी नंदन।।

करो जगत का फिर कल्याण
हे गजानन हे तुम्हें प्रणाम।।

रचयिता
मंजरी सिंह,
प्रधानाध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय उमरी गनेशपुर,
विकास खण्ड-रामपुर मथुरा,
जनपद-सीतापुर।

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