गणेश उत्सव

मना लें गणेश उत्सव
आये घर सिद्धिविनायक
पाएँ कृपा गणपति की।

पुत्र हैं महादेव और गौरा के
भाई हैं कार्तिकेय के।

बड़ा है जिनका माथा
कहलाते बुद्धि राजा।

आँखें छोटी-छोटी
सूक्ष्म तीक्ष्ण दृष्टि।

लंबे-लंबे हैं कान
प्रतीक हैं अधिक ग्राह्यशक्ति के।

चार भुजाएँ हैं
चारों दिशाओं की सर्वव्यापकता।

बुद्धिशीलता को
दर्शाती लंबी सूँड।

सिर हाथी का
कहलाते  हैं गजानन।

देव हैं प्रथम पूज्य
कार्य संपन्न होंगे निर्विध्न।

वाहन  है मूषक
प्रिय है दूर्बा घास।

खुश होते हैं सिंदूरी से
पुष्प प्रिय हैं लाल रंग के।

चिन्ह है स्वास्तिक का
भोग लगता मोदक का।

रिद्धि सिद्धि हैं जिनके साथ
पुत्र रत्न हैं शुभ और लाभ।

संपूर्ण पृथ्वी को नापा
कर माता-पिता की परिक्रमा।

मिले आशीर्वाद जिनसे
ज्ञान सुख और शांति का।

रचयिता
सुषमा मलिक,
कंपोजिट स्कूल सिखेड़ा,
विकास खण्ड-सिंभावली, 
जनपद-हापुड़।

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