हो गया है सवेरा

जन उठो,हो गया है सवेरा,
प्रकाश उद्धृत, मिटा है अँधेरा।
  छिटकी छ्टा इस पावन धरा पर,
  खग कुल करते आर्तनाद निरन्तर।
लगता दृश्य यह अति आभिराम,
आप करते रहें निज कर्म अविराम।
   सदा रश्मियों का लाभ उठाकर,
   निज नित्य कर्म का पालन करें।
संसार है असार, प्रकाश चार दिन,
महान कार्य के लिए सदा डटे रहें।
   होता सत्कर्म से देश धर्म पूरा,
    पहुँच जाते उन्नति के पथ पर।
शीर्ष पर अग्रसर किया राष्ट्र गौरव,
परमार्थ में जो नहीं रहा अधूरा।
    जन उठो,हो गया है सवेरा,
     प्रकाश उद्धृत, मिटा है अँधेरा।।

रचयिता
रवीन्द्र शर्मा,
सहायक अध्यापक,
पूर्व माध्यमिक विद्यालय बसवार,
विकास क्षेत्र-परतावल,
जनपद-महराजगंज,उ०प्र०।

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