माँ

कितनी प्यारी कितनी अच्छी,
      कितनी सीधी कितनी सच्ची।
सारी दुनिया से है प्यारी,
      दिखती इसमें दुनिया सारी।

आँखों में ममता का सागर,
     हृदय में उमड़े हरदम प्यार।
बोली इसकी जैसे कोयल,
     आंचल करे अमृत बौछार।

देती हमको स्नेह, दुलार,
      इसका प्रेम असीम अपार।
प्यार के इसके नहीं कोई मोल,
      इसका प्यार तो है अनमोल।

जीवन के संघर्षों से,
      लड़ना हमें सिखाया।
वक़्त के हर पल को,
      जीना हमें बताया।

माँ पर कुर्बान है,
      मेरा सारा जीवन।
चरणों में अर्पित है,
      मेरा तन,मन,धन।

रचयिता
आरती साहू,
सहायक अध्यापक,
प्रा0 वि0 मटिहनियाँ चौधरी,
विकास खण्ड-सदर,
जनपद-महराजगंज।

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