हमारी जीवन रेखाएँ~हमारी नदियाँ

जल ही जीवन है सबका
आओ कर लें इसकी बात,
जीवन रेखाएँ भारत की
नदियों को हम कर लें याद ।

गंगा का घर बना हिमालय
बसे अनेकों शहर किनारे,
हृदय हार भारत का है ये
जीवन सबका इसी सहारे ।

हरिद्वार का क्या कहना
गंगा कल-कल बहे जहाँ,
गंगा जी के तट पर लगता
अर्द्धकुंभ और कुंभ यहाँ ।

गंगा बहती चलती आये
बद्रीनाथ धाम में   ,
कानपुर कन्नौज औ पटना
गंगा बहे बनारस में ।

बात बताएँ अब यमुना की
बहती आए मैदानों में,
बसे आगरा, दिल्ली, मथुरा,
इसके शान्त किनारों में ।

है प्रयाग की शान निराली
तीर्थराज   कहलाए  ,
लगता मेला कुंभ यहाँ पर
गंगा यमुना का संगम हो जाए ।

शहर नवाबों का कहलाता
यू० पी० की राजधानी है,
लखनऊ इसका नाम है
नदी गोमती रानी है  ।

सतलज बहती पंजाब में ,
श्रीनगर में बहती झेलम
कोटा बसता चंबल तीरे
रावी व्यास बहें हिमाचल ।

सरयू तीरे पवित्र अयोध्या
राप्ती बहे गोरखपुर ,
चित्रकूट में मन्दाकिनी
स्वर्णरेखा है जमशेदपुर।

अब करते पश्चिम की बात
सूरत में बहे  ताप्ती  ,
भरुच जबलपुर नर्मदा कूले
अहमदाबाद में साबरमती  ।

उज्जैन नासिक शहर हैं दो
कुंभ मेला है भी लगता ,
नासिक गोदावरी किनारे
तो उज्जैन क्षिप्रा कूले बसता ।

पूरब में बढ़कर आओ तो
कटक बस महानदी किनारे,
डिब्रूगढ      मे    ब्रह्मपुत्र
कोलकाता है हुगली द्वारे ।

अब करते दक्षिण की सैर
बहती   कृष्णा, कावेरी ,
विजयावाड़ा कृष्णा तीरे
त्रिचनापल्ली  कावेरी  ।

भारत की शान  निराली
नदियों से ही है हरियाली ,
स्वच्छ रखें ये शपथ उठाएँ
इनसे ही तो है  खुशहाली  ।।
       
रचयिता
आरती श्रीवास्तव,
प्रधान शिक्षिका,
प्राथमिक विद्यालय सेमरा चौराहा,
विकास क्षेत्र-सुरसा,
जनपद-हरदोई।

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