नभ का तारा

मैं नभ की आँखों का तारा,
तारा में आला हूँ।
चमचम चमकू-दमकू दिनभर,
मैं तो मतवाला हूँ।

अंधियारा दुम दबा भागे,
ज्यों ही मैं आता हूँ।
नई नवेली सुबह सुहानी,
रोज-रोज लाता हूँ।

चमके प्यारे चंदा मामा,
मुझसे चमक पाकर।
फिर धरती को चमकाए वो,
निशि रात में आकर।

जो भी मेरा नाम बताएँ,
होशियार कहलाए।
मुझ सा ही चमके-दमके वो,
खूब सफलता पाएँ।

रचयिता 
मेराज रज़ा, 
राजकीय उत्क्रमित मध्य विद्यालय ब्रह्मपुरा, 
विकास खण्ड - मोहिउद्दीननगर, 
जिला-समस्तीपुर, 
राज्य-बिहार।


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