चलो स्कूल चलें हम

हुए हैं हम सब अब अनिमेश(जागरूक)
बदल जाएगा अब परिवेश,

पहनकर स्वच्छ नया गणवेश,
कराने बच्चों का प्रवेश,

चलो स्कूल चलें हम ,
चलो स्कूल चलें हम...।।

पढ़ेंगे बच्चे अक्षर चार,
बढ़ेगी सोच समझ की धार,

उठेंगे मन में नये विचार,
करेंगे अंधियारे को पार,

चलो स्कूल चलें हम ,
चलो स्कूल चलें हम...।।

सुबह ये जल्दी से उठ जाएँ,
स्वच्छ जल से नित सभी नहाएँ,

विनय कर ईश को शीश नवाएँ,
नाश्ता झट से चट कर जाएँ,

उड़ाते चलते सोंधी धूल,
झूलना लेते थोड़ा झूल,

भूल कर करते न ये भूल,
पहुँच जाते सब नित स्कूल,

चलो स्कूल चलें हम ,
चलो स्कूल चलें हम...।।

कक्ष में पढ़ते ध्यान लगायें,
पाठ झटपट से याद हो जाएँ,

देख बच्चों का सरल स्वभाव,
शिक्षकों का मन अति हर्षाय,

चलो स्कूल चलें हम,
चलो स्कूल चलें हम...।।

बोलते सरस और मृदुभाष,
सभी के मन को आये रास,

जगाते रोज नयी सी आस,
दिखाते अपना वो विश्वास,

चलो स्कूल चलें हम,
चलो स्कूल चलें हम...।।
गाँव का प्राइमरी स्कूल,

यहाँ हर बच्चा जैसे फूल,
सीखते यहाँ ज्ञान का मूल,

लगे मन घर को जाएँ भूल,
चलो स्कूल चलें हम,
चलो स्कूल चलें हम...।।

रचयिता
प्रभात कुमार(पॉजिटिव),
सहायक अध्यापक
प्राथमिक विद्यालय महावां
विकास खण्ड-सरसवाँ
जनपद-कौशाम्बी।

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