गर्मी आई

गर्मी आई गर्मी आई,
   धूल-धूप को संग में लाई।

   घर आँगन सब खेत तपे हैं।
  शीतलता का सब नाम जपे हैं ।
 दिन रात सब गर्म लगे हैं ।
 तरबतर हैं कल्लू हलवाई ।
 गर्मी आई गर्मी आई ........2

कुल्फी की हैं सजी दुकानें ।
लस्सी पीकर स्वर्ग सा मानें ।
पानी शीतल अपना जानें ।
बेचैन हैं देखो लोग लुगाई ।
गर्मी आई गर्मी आई .......2

ककड़ी तरबूजा की है भरमार ।
जूसों का है सजा बाजार ।
 कोल्ड ड्रिंक से भी करते हैं प्यार ।
घर घर धूम घड़ों की छाई ।
गर्मी आई गर्मी आई..........2

निकल आई है मच्छर-दानी।
 पर जारी है मच्छर की शैतानी।
आतंक है इनका खानदानी ।
गाना गा-गाकर जड़ें निशानी ।
कूलर पंखे से अब हुई सगाई ।
गर्मी आई गर्मी आई ...........2

नदी तालाब सब लगे सूखने।
नल भइया भी अब लगे रूठने ।
कुआं दादा भी  अब लगे सरकने ।
गर्मी से सबकी हालत है घबराई ।
गर्मी आई गर्मी आई............2

बन्द पड़ी एसी भी बनवाई ।
फ्रिज़ की कर ली साफ सफाई।
बिजली की खातिर जुगाड़ों की झड़ी लगाई ।
तब जाकर कुछ राहत पाई ।
 गर्मी आई गर्मी आई ..............2

रचयिता
जीतेंद्र प्रताप सिंह (जेपी),
सहायक अध्यापक (विज्ञान),
पूर्व माध्यमिक विद्यालय महेरा, 
विकास खण्ड-मुस्करा, 
जनपद-हमीरपुर (उ0प्र0)।

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