ये पढ़ाने वाली औरतें

ये पढ़ाने वाली औरतें
बच जाती हैं उन मंथराओं से
जो वक्त बेवक्त जहर घोल जाती हैं
अनगिनत जिन्दगानियों में
ये.........
रोज छोड़ती हैं नया छाप
देती हैं समाज को दिशा
पाती हैं मासूम बच्चों का प्यार
ये............
चाय ठंडी करके एक घूंट में पीकर
भागती हैं कर्म पथ पर
एक विजयी मुस्कान के साथ
ये............
पी कर हजार आंसू
लुटाती हैं खुशियां
अदम्य इनका साहस
अद्भुत स्वाभिमान
ये...........

रचयिता
रेनू अग्रहरि,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय अजीजपुर,
जनपद-सुल्तानपुर।

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